पीएसी की रिपोर्ट में रघुवर का विकास वेंटिलेटर पर

थिंक टैंक, पब्लिक अफेयर सेंटर (पीएसी) द्वारा जारी सार्वजनिक मामलों के सूचकांक-2018 की बात करने से पहले, भारत देश के एक महान युवा क्रान्तिकारी और हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के कमाण्डर चन्द्रशेखर आज़ाद का आज जन्म दिवस (23 जुलाई, सन 1906) है। उनका जीवन अन्याय, ज़ुल्म और शोषण पर टिकी व्यवस्था में जी रहे हर उन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है जो कु-व्यवस्था में घुटन महसूस करता है और जिसके दिल में अच्छे के लिए बग़ावत की चिंगारी सुलगती है। खासकर गरीबों-आमजनों के युवा बेटे-बेटियों के लिए, जिनके लिए सिर्फ़ इंक़लाब ही एकमात्र उम्मीद है, आज़ाद का व्यक्तित्व रास्ता दिखाने वाली मशाल की तरह है। यह हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए गौरव का दिन है। और आज के मुबारक दिन में ही राज्यों की शासन-व्यवस्था के मामले में थिंक टैंक, पब्लिक अफेयर सेंटर (पीएसी) द्वारा जारी सार्वजनिक मामलों के सूचकांक-2018 में झारखण्ड की स्थिति का बद से बदतर होना इस राज्य के लिए एक बुरी खबर है।

आप को स्मरण करा दूं कि पीएसी 2016 से हर साल राज्यों की शासन-व्यवस्था पर अपनी पैनी नजर रखते हुए सूची जारी करती है। यह संस्थान अपने रिपोर्ट में राज्यों के सामाजिक-आर्थिक विकास के आंकड़ों के आधार पर शासन-व्यवस्था के प्रदर्शन की रैंकिंग कर देश की मौजूदा सच्चाई जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का कार्य करती है। महज एक दिन पहले लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौर के साथ-साथ झारखण्ड प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का भी समापन हुआ। दिलचस्प बिंदु यह रहा कि दोनों ही स्थिति में सत्ता पक्ष ने अपनी उपलब्धि जोर-शोर से गिनवाने का काम किया परतु इन स्थितियों में विपक्ष नाराज दिखा। झारखण्ड में नेता-प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन तो सत्ता पक्ष से इतने दुखी दिखे कि उन्होंने और उनकी पार्टी झामुमो ने वेतन-भत्ता लेने से ही मना कर दिए और इस सरकार के तानाशाही रवैये के प्रति स्पीकर महोदय से गुहार लगाते रह गए कि ऐसे तो हमारा राज्य बर्बाद हो जाएगा। इसी कशमकश के बीच पीएसी द्वारा जारी रिपोर्ट का सार्वजनिक होना यह साबित करता है कि हेमंत सोरेन एवं स्पीकर महोदय का अनुमान कितना सटीक था।

पीएसी के चेयरमैन के. कस्तूरीरंगन का भी कहना है कि युवाओं की बढ़ती आबादी वाले देश के रूप में भारत को अपनी विकासपरक चुनौतियों का आकलन करने और उनका समाधान करने की आवश्यकता है।’’

पीएसी द्वारा सार्वजनिक हुई इस रिपोर्ट में राज्य की शासन व्यवस्था (गुड गवर्नेंस) के मामले में दक्षिणी राज्य केरल पहले स्थान पर काबिज रहा और इस राज्य ने यह कारनामा लगातार तीसरी बार दुहराया। तो वहीं बिहार और झारखण्ड की स्थित और बदतर होकर इस सूची में सबसे निचले पायदान पर खिसक गयी है। क्रमांक देखें तो इनका अंक क्रमशः 22, 23 एवं 24 है। दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमश: तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात को रखा है। कर्नाटक ‘पारदर्शिता और जवाबदेही’ की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ राज्य बन कर उभरा है तो वही भाजपा शासित राज्यों में, लॉ एंड ऑर्डर के मामले में हरियाणा सबसे निचले पायदान पर पहुँच गया है जबकि में एमपी, झारखंड और बिहार सबसे नीचे ही अपना स्थान बना पायी है। रिपोर्ट में यह स्पष्ट दिखता है कि भाजपा शासित राज्यों की सामाजिक व आर्थिक असमानता की स्थिति बेहद ही दयनीय है। अगर छोटे राज्यों की शासन व्यवस्था की बात करें तो पीएसी की रिपोर्ट में पहाड़ी प्रदेश हिमाचल का स्थान पहला है। उसके बाद गोवा, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा का नंबर आता है।

बहरहाल, इस रिपोर्ट के अनुसार झारखण्ड राज्य में रघुवर सरकार की शासन व्यव्स्था बिलकुल ही निम्न स्तर की आंकी जा सकती है। उनके द्वारा विकास की जो लकीरें उकेरी जा रही हैं उसे यहां की जनता द्वारा लांघ पाना संभव नहीं प्रतीत होता दिख रहा है। इसका खुलासा इस रिपोर्ट के साथ-साथ कई रिपोर्टों में हुआ है कि यहाँ की जनता के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। इस प्रदेश में मोब-लिंचिंग (भीड़तन्त्र द्वारा हत्यायें) अपने चरम पर है और भाजपा के कई नेता इन आरोपियों और उन्मादियों को गले लगाते दिखते हैं। भूमि अधिग्रहण संशोधन अधिनियम तो जनता के अधिकारों के साथ सीधा खिलवाड़ है, इसकी सत्यता का खुलासा पुन्य प्रसून वाजपयी जी के अडानी पॉवर प्लांट पर आधारित रिपोर्ट में भी होता है। यही वह राज्य है जहाँ भूख से हो रही मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिक्षा की बात ही करना बेइमानी लगता है क्योंकि जहाँ आरटीई के अनुसार शिक्षा एक किलोमीटर के अंतराल में बच्चों को मिल जानी चाहिए वहीँ यह सरकार इस अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में लगभग 12,500 स्कूलों को बंद करने का फरमान सुना दिया है। और तो और इनके शासनकाल में घोटालों की तो श्रृंखला ही बनती जा रही है।

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