सदन में जनहित मुद्दा नहीं उठने से हेमंत सोरेन दुखी, नहीं लेंगे वेतन-भत्ता

झारखण्ड में एक तरफ पूरा मानसून सत्र लगातार हंगामे की भेंट चढ़ता रहाऔर रघुवर सरकार वादे-दावे गिनवाती रही। लेकिन इससे इतर जो राज्य की सच्चाई है वह खबर गिरिडीह के गांडेय थाना क्षेत्र से रघुवर सरकार के शासन-प्रशासन की व्यवस्था को मुंह चिढ़ाती निकल कर सामने आयी है। जहाँ एक बार फिर एक नाबालिग के साथ गैंगरेप हुआ, वहीं दूसरी तरफ राज्य में हत्यायों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रही है। स्थिति यह है कि सरकार अपने दल के नेताओं तक को बचा पाने में असफल दिख रही है।

शुक्रवार को विधानसभा में 100 मिनट के भीतर झारखंड जल, गैस एवं ड्रेनेज पाइप-लाइन विधेयक-2018 सहित नौ विधेयक पारित कर दिए गए। अब सरकार को इन सब परियोजनाओं के लिए रैयतों तक से सहमती लेना जरूरी नहीं होगा। दिलचस्प यह रहा कि झारखंड सरकार ने बहुत जरूरी बताते हुए भोजपुरी, मैथिली, अंगिका और मगही को झारखण्ड के दूसरी राजभाषा के तौर पर मान्यता दे दी। हालांकि आलमगीर आलम ने यह जरूर पूछा कि यह संशोधन क्यों हो रहा है, और अगर हो रहा है तो इसकी जानकारी भी होनी चाहिए, साथ ही इसे भी सभा के पटल पर रखा जाना चाहिए ताकि चर्चा हो सके। इस पर सत्ता पक्ष ने कहा कि सरकार इस सुझाव पर विचार करेगी।

प्रतिपक्ष नेता हेमंत सोरेन और उनके ही पार्टी के विधायक स्टीफन मरांडी ने नगर विकास मंत्री सीपी सिंह द्वारा तमाम विपक्ष को देशद्रोही और अफजल गैंग का सदस्य कहे जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जो आरोप लगाए गए हैं वह अतिगंभीर है और सदन के मर्यादा को भंग करने के बराबर है, इसलिए हम चुप नहीं बैठेंगे। आगे उनहोंने कहा कि सत्ता में बैठे यह सामंती लोग हैं और दलितों-आदिवासियों का हर संभव शोषण करते हैं। साथ ही हमारी आवाज को कुचलने का प्रयास लगातार कर रहे है। स्पीकर ने कहा कि देश द्रोही मामला गुरुवार को सदन में आ चुका है। इस पर विचार का आदान प्रदान भी हो चुका है, लेकिन यह नहीं बताया कि मंत्री जी अपने बयान के लिए कब खेद व्यक्त करंगे।

अंतिम दिन सदन में ‘स्कूल विलय’ का मुद्दा गरमाया रहा, अच्छी बात यह रही कि इस मुद्दे को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के भी कई विधायकों ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। राज्य की भौगोलिक स्थिति का हवाला देते हुए विपक्ष ने इसे राज्य के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया एवं इस पर पुनर्विचार का भी आग्रह किए। श्री सोरेन ने कहा कि सरकार का प्रदेश के शिक्षा के प्रति जिस प्रकार का रवैया देखा जा रहा है, उससे यह PPP मोड की दिशा में अग्रसित होता प्रतीत हो रहा है। उनहोंने उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य के पोलिटेक्निक कॉलेज, हैं तो सरकारी लेकिन यहाँ सर्टिफिकेट प्राइवेट संस्थानों के दिए जा रहे हैं। जब बच्चे इस पर सवाल उठाते हैं तो उनका स्वागत ये लाठी–डंडों से करते हैं। यह हाल पूरे राज्य का है जबकि राज्य में शिक्षा की औसत स्थिति ठीक नहीं है। इस तरीके से अगर सरकार कार्य करेगी तो हमारा राज्य बर्बाद हो जायेगा। आगे यह भी कहा गया कि अगर सरकार के स्कूल विलय फैसले की जाँच किसी प्राइवेट संस्था से करवाया जाय तो निश्चित ही यह एक गलत फैसला साबित होगा। इसके जवाब में सत्ता पक्ष ने स्कूलों में शिक्षकों के भर्ती करने के जगह यह उत्तर दिया कि जहाँ कम बच्चे हैं उन्हें ज्यादा शिक्षक वाले स्कूल में भेजा जा रहा है साथ ही यह भी कहा कि प्रदेश की शिक्षा का औसत ठीक है। ज्ञात रहे कि सरकार के इस प्रक्रिया के तहत लगभग राज्य के 12500 स्कूल बंद हो रहे हैं।

अंततः हेमंत सोरेन को वहां उत्पन्न हुए नोक-झोक में कहना पड़ा कि यह प्रवासी मुख्यमंत्री ठीक वैसी ही कार्य कर रहे हैं, जैसे पहले लूटेरे यहां आकर यहां की मंदिरों के मूर्तियाँ, धन-सम्पदा लूट कर ले जाते थे।

सम्पूर्ण विपक्ष के द्वारा 21 जुलाई को मोरहाबादी गाँधी प्रतीमा के सामने से राजभवन तक पद-यात्रा के द्वारा भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज, मॉब-लिंचिंग और स्वामी अग्निवेश की झारखंड यात्रा के दौरान उनपर भीड़ की आड़ में हुई मारपीट के विरोध में प्रतिरोध मार्च निकाला गया। इस प्रतिरोध मार्च में मुख्य रूप से विपक्ष के कई बड़े नेताओं के साथ-साथ झामुमो की महिला नेत्री महुआ माझी ने मुखर हो शिरकत किया।

बहरहाल, विपक्षी विधायकों ने कहा कि इस मानसून सत्र को राज्य में काला कानून के सत्र के रूप में याद किया जाएगा। जबकि पूरे प्रकरण को लेकर प्रतिपक्ष नेता हेमंत सोरेन दुखी दिखे और उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार को तत्काल प्रभाव से नोटिफिकेशन जारी कर देना चाहिए कि विपक्ष सदन में इनके शासन-काल में कोई सवाल नहीं पूछ सकता हैं और जनहित की तो बात ही नहीं उठा सकता है। श्री सोरेन ने सदन के अनुभव को ले कर स्पीकर को ज्ञापन सौंपे एवं यह एलान किए कि 16 जुलाई से 21 जुलाई तक का वेतन एवं सदन के दौरान मिलने वाले भत्ते को वे एवं झामुमो का कोई भी विधायक नहीं लगा। उन्होंने कहा कि जनता के वाजिब सवाल ही सदन में नहीं उठाने दिया गया तो नैतिकता के कसौटी पर हमारा जमीर इजाजत नहीं देता कि जनता के गाढ़ी कमाई को लिया जाए।

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