कैसे आए मोदी जी की कृपा से अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन !

 

गिरीश मालवीय

भारत की अर्थव्यवस्था बहुत बुरी स्थिति में पहुँच गयी है। खबर आयी है कि विदेशी निवेशक बाजार में बहुत तेजी से अपना पैसा निकाल रहे है। उन्होंने अप्रैल महीने में भारतीय कैपिटल मार्केट से 15,500 करोड़ रुपए से ज्यादा की निकासी की है, इतनी रकम पिछले सोलह महीनो में किसी एक महीने में नही निकाली गयीं है। वैसे एफपीआई ने फरवरी में भी पूंजी बाजार से 11,674 करोड़ रुपए निकाले थे लेकिन इस बार तो यह रिकॉर्ड भी टूट गया। इसे पिछले 165 महीनों की सर्वाधिक निकासी बताया जा रहा है।

बैंकिंग की भी हालत बहुत खराब है। 55 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि भारतीय बैंकों के राजस्व में इस कदर गिरावट दर्ज की गई हैं। बैंक डिपोजिट ग्रोथ रेट पिछले 55 सालों में सबसे कम हो गया है। मार्च 2018 को खत्म हुए वित्त वर्ष में बैंक में लोगों ने 6.7 फीसदी की दर से पैसे जमा किए। यह 1963 के बाद सबसे कम है। यह कोई फेक जानकारी नही है यह भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट से मिली ऑफिशियल जानकारी है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि नवंबर 2016 में नोटबंदी किए जाने के बाद तकरीबन 86 फीसदी डिपोजिट बैंकों में पहुंच गयी थी। नोटबंदी के बाद नवंबर-दिसंबर 2016 में बैंकों के पास 15.28 लाख करोड़ रुपये आए थे।

इससे वित्त वर्ष 2017 में बैंकों का डिपॉजिट 15.8 पर्सेंट बढ़कर 108 लाख करोड़ रुपये हो गया था लेकिन अब इसकी ग्रोथ 6.7 पर्सेंट रह गई हैं। इसे आप ऐसे समझे कि लोग बैंकों से रकम निकालते जा रहे हैं और जमा कराने में कंजूसी कर रहे हैं, किसी का मूड नही है कि रकम वापस बैंक में रखी जाए।

राजनीतिक दृष्टि से आप मोदी सरकार को कितना भी सफल बता दे लेकिन सच्चाई यह है आर्थिकी के स्तर पर इस सरकार के प्रति लोगों में  भयंकर अविश्वास पनप गया है आप इसे मानिये या मत मानिए पर इसकी गवाही आंकड़े दे रहे हैं।

 

ऊपर के लेख से सम्‍बन्धित लिंक-

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https://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/bank-deposit-growth-slowest-in-last-50-years/articleshow/64022761.cms

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