वर्तमान डीजीपी ने अपराधियों को चेतावनी देना फर्ज समझा, लेकिन रघुवर दुलारे ने जमीन लुट को

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कहते हैं कि वर्तमान डीजीपी अपना गुस्सा जनता पर निकाल रहे हैं। क्या अपराधियों को चेतावनी दे फर्ज और ड्यूटी निभाना गुनाह होता है?

रांची। किसी भी राज्य में पुलिस विभाग का सर्वोच्च पद डीजीपी होता है, जिसका नैतिक कर्तव्य राज्य की जनता व संवैधानिक पदों पर बैठे जनता के नायकों की सुरक्षा करना होता है। साथ ही निष्पक्षता के साथ पूरे विभाग को संविधान के मूल्यों की रक्षा का पाठ पढ़ाना भी होता है। लेकिन यदि वह पद धारी फर्ज व शपथ को धोखा दे जमीन लूट को अंजाम देता है, तो उसे डीजीपी नहीं  डी.के.पांडेय कहा जा सकता है। और इस गलती पर कार्रवाई तो दूर निंदा तक तत्कालीन सत्ता न करे तो उस सत्ता को क्या कहा जाए। ख़ैर जो मर्जी हो आप कहें, लेकिन जब उस सत्ता  का मुखिया उसकी तुलना वर्तमान डीजीपी से करे तो सवाल उठाना लाज़मी हो जाता है।  

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास व तमाम भाजपा नेताओं द्वारा उस डीजीपी को न केवल संरक्षण बल्कि पार्टी में शामिल किया जाना देना, निस्संदेह उनकी नैतिक विचारधारा पर सवालिया निशान अंकित करता है। जबकि हेमंत सरकार एक वर्ष के कार्यकाल में कोरोना महामारी से लेकर अब तक डीजीपी एमवी राव व पुलिस का मानवीय छवि निश्चित रूप से दिखी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सुरक्षा काफिले पर हुए हमले के बाद डीजीपी एमवी राव ने घटना में शामिल भाजप गुंडों के खिलाफ सख्त तेवर डीजीपी के फर्ज का हिस्सा भर है। लेकिन तिलमिलाहट में रघुवर दास का डीजीपी के फर्ज को गुस्सा बताया जाना, उनकी राजनीतिक कैरियर पर सवाल खड़ा कर सकता है। 

गैर मजरुआ जमीन खऱीदने व मकान बनाने के आरोप में क्यों खामोश हैं पूर्व डीजीपी 

रांची जिला प्रशासन की एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट होता हैं कि रांची के कांके अंचल स्थित चामा मौजा में पूर्व डीजीपी डीके पांडेय ने गैर मजरुआ जमीन की अवैध जमाबंदी करवाई है। उनपर अपनी पत्नी पूनम पांडेय के नाम पर 50.9 डिसमिल गैर मजरुआ जमीन खरीदने और उसपर मकान बनाने का आरोप है। ऐसे संगीन आरोपों के बावजूद इस मामले में पूर्व डीजीपी का खामोश रहना उनकी संलिप्तता की पुष्टि कर सकती है।

हालांकि इस मामले की जांच की जा रही है कि कैसे इस जमीन का निबंधन और जमाबंदी हुई। लेकिन, यह भी तय है कि भाजपा संरक्षण में पूर्व डीजीपी ने अपने पावर का गलत उपयोग किया है। कहा तो यह भी जा रहा हैं कि यहां सिर्फ पूर्व डीजीपी डीके पांडेय ही नहीं, बल्कि डेढ़ दर्जन बड़े कद वाले (संभवतः कुछ नेताओं व अधिकारियों) लोगों ने भी जमीन लूट का काला खेल खेला है।

पूर्व डीजीपी डीके पांडेय की विवादों की लिस्ट लंबी हैं, बकोरिया व नक्सली के नाम पर फर्जी सरेंडर जैसे डरावने आरोप प्रमुखता से लगे हैं 

ऐसा नहीं है कि रघुवर दास के दुलारे रहे डीके पांडेय पर केवल एक ही आरोप लगा है। अपराध की लंबी फ़ेहरिस्त डीके पांडेय के साथ जुड़ी है। इसमें बकोरिया कांड सहित फर्जी नक्सली बताकर सरेंडर करने का मामला शामिल हैं। पलामू के सतबरवा के बकोरिया में 8 जून 2015 को 12 लोगों को पुलिस ने कथित मुठभेड़ में मार गिराया था। मृतकों में दो नाबालिग भी शामिल थे। सीबीआई को जांच के दौरान अब तक मिले साक्ष्य बता रहे हैं कि बकोरिया कांड में वरीय पुलिस अफसरों ने लापरवाही बरती है। घटना के मारे गए मृतकों की पहचान किए बिना अफसरों ने सबको नक्सली घोषित कर दिया था। 

इसी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों के 514 निर्दोष युवकों को नक्सली के नाम पर हथियार के साथ आत्मसमर्पण कराने व उन्हें पुलिस की नौकरी दिलाने का झांसा देने के मामले में पूर्व डीजीपी डीके पांडेय फंस चुके है। डीके पांडेय उस वक्त सीआरपीएफ, झारखंड के आइजी के पद पर थे। यह घटना वर्ष 2012 की है। 

क्या रघुवर को पता नहीं कि वर्तमान डीजीपी ने जनता को नहीं, अपराधियों को दी है चेतावनी

पूर्व डीजीपी के कारनामों से इतर वर्तमान डीजीपी ने फर्ज को आगे रखते हुए संवैधानिक पद बैठ मुख्यमंत्री की सुरक्षा के मद्देनजर अपराधियों को चैतावनी है। ज्ञात हो कि एक सुनियोजित साज़िश के तहत भाजपा के गुंडों ने हेमंत सोरेन क सुक्षा काफिल पर हमला को अंजाम दिया था। जाहिर है वर्तमान डीजीपी पूर्व डीजीपी की तरह भजन तो गाते नहीं। घटना पर सख्त तेवर अपनाते हुए अपराधियों को चेतावी दी, जो उनके फर्ज का हिस्सा भर है।

डीजीपी एमवी राव ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस तरह की घटना को दोहराने की जुर्रत करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी। झारखंड में गुंडा गर्दी किसी भी सूरत में नहीं चलने दी जाएगी। सीएम के काफिले पर शामिल होने वाले लोगों को बख्सा नहीं जाएगा और उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जाहिर है कि डीजीपी का यह बयान किसी आम नागरिक के लिए नहीं बल्कि अपराधियों के खिलाफ था। और ऐसे बयान पर यदि भाजपा नेता सवाल उठाती है तो वे खुद ही अपनी संलिप्तता जाहिर कर रहे हैं।

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