1932 व आरक्षण में बीजेपी-आजसू की दुमुंहा नीति पर जनता स्तब्ध

झारखण्ड : बीजेपी पहले प्रायोजित मुद्दे को हवा देती है. फिर अपने सुनियोजित एजेंडे को परोसती है. 60-40 के आसरे युवाओं को भड़काया और इसके आड़ में हेमन्त सरकार द्वारा पारित आरक्षण बढोतरी विधेयक वापस लौटा. OBC को झटका.

रांची : देश भर में बीजेपी पहले प्रायोजित मुद्दे को आईटी सेल व मुखौटे के आसरे हवा देती है. और फिर अपने सुनियोजित एजेंडे को परोसती है. वर्तमान में यह स्पष्ट तौर पर झारखण्ड में देखा गया. झारखण्ड राज्य में सीएम सोरेन के न्युक्ति प्रक्रिया के प्रयास को रोकने के अक्स में 60-40 के आसरे युवाओं को भड़काया गया. और इसके बीच हेमन्त सरकार द्वारा पारित आरक्षण बढोतरी विधेयक को राज्यपाल के द्वारा संविधान की दुहाई देते हुए वापस लौटा दिया गया.

1932 व आरक्षण में बीजेपी-आजसू की दुमुंहा नीति पर जनता स्तब्ध

विपक्ष व गैर बीजेपी शासित सरकारों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि देश में राज्यपाल केन्द्रीय सत्ता के इशारे पर कार्य कर रही है. इसकी स्पष्ट तस्वीर झारखण्ड राज्य में देखा गया. ज्ञात हो, पहले उसी संविधान के अक्षरों तले केन्द्रीय के द्वारा बिना आंकड़े के EWS आरक्षण पारित हुआ. और बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक में आरक्षण बढोतरी विधेयक पर राज्यपाल की मुहर लगी. लेकिन वहीं झारखण्ड के राज्यपाल के द्वारा हेमन्त सरकार द्वारा पारित आरक्षण विधेयक को लौटाया गया.

हालांकि, राज्य में मुखौटों के आसरे हो रहे शोर-शराबे के बीच हेमन्त सत्ता को भान था कि राज्य में ऐसा कुछ देखा जा सकता है. इस मुद्दे पर पहले सर्वदलीय शिष्टमंडल से बीजेपी की दूरी व आजसू का गोल – मटोल रवैये ने इसके संकेत पहले ही दे दिए थे. लेकिन, राज्यपाल के इस कदम पर बाबूलाल मरांडी व आजसू सुप्रीमों की चुप्पी राज्य की मूलवासी मूल्वासी जनता को स्तब्ध कर दिया है. और उसे वपक्ष के प्रोपोगेन्डा में छिपे राजनीतिक स्टंट को भली भांति समझने को विवश कर दिया है.

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