झारखण्ड : जांच एजेंसियां ईमानदारी जांच करेंगी तो सरकार का पूर्ण समर्थन मिलेगा. अवैध खनन घोटाला बीजेपी काल का लेकिन जांच के घेरे में जबरन केवल हेमन्त सरकार. चार्जशीट में जिक्र के बावजूद क्यों इडी का समन पूर्व सीएम रघुवर दास को नहीं जाता.
रांची : हे भगवान, क्यों चिल्ला चिल्लाकर किया गला हलकान, यहॉं तो माया मिली ना राम का ज्ञान देने वाले बाबा! निशिकांत दुबे अख़बार में छपे ख़बरों से आज कल मामले का अंत समझ लेते हैं. उनके समझ के अनुसार भ्रष्टाचारी सरग़ना अमित अग्रवाल, पूजा सिंघल, पिंटू और सभी तीन केस में जल्द ही सलाख़ों के पीछे होंगे. लेकिन घोटाला के मद्देनजर वह सत्ता पक्ष पर निशाना साध अपने पूर्व की बीजेपी सत्ता के सच आसानी से गटकते दिखते हैं.
लेकिन, उनके ही पूर्व के साथी मंत्री व वर्तमान विधायक सरयू राय का ट्विट निशिकांत व अन्य बीजेपी नेताओं की मंशा का पोल खोलती दिखती है. सरयू राय – 2015-19 में प्रेम प्रकाश की कंपनी से 233 रेलवे रैक स्टोन चिप्स का परिवहन घोटाला करने वाले मुँह छिपा रहे हैं कि पीरपैंती बिहार में है. ईडी चार्जशीट का पृष्ठ 94 व 95 देख लें. पता चल जाएगा कि मुख्य अभियुक्त के बैंक खाता में रघुवर दस और हेमन्त शासन में कब कितना पैसा जमा हुआ.
जिस घोटाला में पूजा सिंघल जेल में है, उस चार्जशीट अलग कहानी बयाँ करती है
इडी जांच के जिस घोटाला में पूजा सिंघल जेल में है, चार्जशीट के अनुसार वह 2013 से 2020 के दौरान हुआ. घोटाला कम्पनी के खाता में 2013-14 में 10.56 करोड़ रुपए और 2015-20 में 154.44 करोड़ रुपए जमा हुआ. जबकि उस मामले में रघुवर दास ने अपनी सरकार में पूजा सिंघल को आरोप मुक्त कर दिया था. यह कैसे हुआ था और इस मामले में ED चुप क्यों?
इडी की चार्जशीट में पीरपैंती साइडिंग से 251 रेल रैक स्टोन चिप्स का अवैध परिवहन बिना चालान हुआ है, जिसमें 233 रैक रघुवर सरकार में हुआ और मात्र 18 रैक का परिवहन हेमन्त सरकार में हुआ है. यह अवैध परिवहन प्रेम प्रकाश की कम्पनी ने किया है. ऐसे में पूछताछ का पहल रघुवर दास के बजाय केवल सीएम हेमन्त सोरेन किया जाना मामले को जनता के बीच संदिग्ध बनाती है.
झारखण्डी जनता का निशिकांत दुबे के ट्विट को जवाब
राज्य की जनता निशिकांत दुबे के ट्विट का रिप्लाई कर जानना चाही है कि छत्तीसगढ़िया कब अंदर होगा? चार्ज शीट के अनुसार दिसंबर 2019 के बाद 18 रैक और उसके पहले 233 रैक अवैध ढुलाई हुआ. जब 18 रैक के लिये सीएम हेमन्त सोरेन को इडी द्वारा नोटिस दिया गया तो 233 रैक के लिये रघुवर दास को नोटिस कब भेजा जाएगा? घोटालेबाज़ IAS का जन्मदाता रघुवर दास ही है.
समाज सेवी उमेश राम के द्वारा ट्विट किया गया है कि इस घोटाला काल में रघुवर सरकार ने अपने कार्यकाल में झारखण्ड को प्रयोगशाला बना दिया था. इनकी कारगुजारी के कारण ही झारखण्ड के पत्थर उत्खनन से जुड़े राज्य के छोटे-छोटे मूल व्यापारी पूरी तरह से बर्बाद हो गए. ऐसे में गंभीर सवाल हो सकता है कि निशिकांत दुबे, बाबूलाल मरांडी जैसे बीजेपी नेता के सवालों का निष्पक्ष जवाब देंगे.
इडी पूछताछ के बाद स्पष्ट कहा जांच सही तरीके से होगी तो सरकार समर्थन करेगी अन्यथा विरोध होगा -सीएम
इडी के पूछताछ के बाद जनता को संबोध करते हुए सीएम द्वारा स्पष्ट कहा जाना कि जांच निष्पक्ष होगी तो सरकार समर्थन करेगी अन्यथा विरोध भी होगा. झारखंडी भावना को प्रदर्शित करता है. साथ ही उनके द्वारा विपक्ष पर आरोप लगाया गया है कि वह राज्य के मूलवासी व आदिवासियों को भड़काने का प्रयास कर रहा है, लेकिन उनके षड़यंत्र को सवा तीन करोड़ लोगों ने समझ लिया है.
इडी ऑफिस में लगभग 8 घंटों के सवालों-जवाब के दौरान सीएम ने कहा कि यह आरोप दो साल में कैसे पूरा हो सकता है. तो ईडी का कहना था कि यह 2 साल का आरोप नहीं हैं. जब 2 साल का आरोप नहीं है तो पूर्व सरकार को क्यों नहीं बोलते हो. अगर आप ईमानदारी से दूध का दूध और पानी का पानी करोगे तो सरकार का पूर्ण समर्थन एजेंसियों को मिलेगा.
इससे पूर्व प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सीएम ने कहा था कि –
- आख़िर गैर भाजपा शासित राज्यों पर ही ईडी की कार्रवाई क्यों हो रही है?
- देश में आज तक सिर्फ व्यापारी ही देश का करोड़ों रुपये लेकर विदेश भाग रहे हैं कोई विपक्ष का नेता नहीं.
- बीजेपी ने राज्य और युवाओं की स्थिति बदतर बना दी है.
- आदिवासी मूलवासी बच्चों को आज हेमन्त सरकार बीडीओ, सीओ बना रही हैं.
- रोजगार की व्यवस्था हो रही है, इंजीनियर की नियुक्ति हो रही है. मूल जनता को अधिकार मिल रहे हैं.
सीएम हेमन्त सोरेन ने जनता स्पष्ट कहा कि हेमन्त सरकार की कार्यप्रणाली से उसकी बढ़ती लोकप्रियता ने बीजेपी की राजनीतिक ज़मीन के अस्तित्व पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है. जिससे बीजेपी व उसके नामचीन नेताओं को परेशानी हो रही है. संघर्ष करना ही सदियों से हम गरीबों का इतिहास रहा है. ढिशूम गुरु शिबू सोरेन को भी इन लोगों ने परेशान किया था, लेकिन अंत में निष्कर्ष के निकला शिबू सोरेन की छवि बेदाग़ साबित हुई.