विधायक सुदिव्य कुमार ने भाजपा की साम्प्रदायिकता व नियोजन नीति की सदन में खोली पोल -काजल से भी काली दिखी भाजपा का दामन

झारखण्ड : गिरिडीह झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार ने रखी सदन में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की नीतियों का सच. झारखण्ड को बताया कि कैसे भाजपा ने छीने 3.25 करोड़ से अधिक झारखंडियों के अधिकार

रांची :  झारखण्ड विधानसभा बजट सत्र –2022. दूसरा दिन ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज हुआ. भाजपा का भ्रम के आसरे झारखंडियों को आपस में व बाहरियों से लड़वाने वाली मानसिकता का सच सामने आया. जेएमएम के गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार के अभिभाषण ने हेमन्त सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाने वाली भाजपा के पाँव तले ज़मीन खीच ली. उनके द्वारा सदन में रखे गए सत्य दस्तावेज़ पर आधारित तथ्यों में भाजपा नीतियों का 3.25 करोड़ झारखंडियों के अधिकार छिनने का सच सामने आया. जिसके अक्स में एक तरफ भाजपा के कई विधायक सदन से नदारत हुए और शेष के चेहरे पर तिलमिलाहट साफ़ दिखी.

गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार द्वारा प्रस्तुत हेमन्त सरकार की नियोजन नीति के बड़ी लकीर के परिपेक्ष्य में बीजेपी की सांप्रदायिकता व नियोजन नीति द्वारा झाखंडियो के अधिकार छिनने का सच इस सादगी एवं मूल रूप में सदन के पटल पर रखा गया कि झारखण्ड भाजपा पूरी तरह नंगी नजर आयी. झारखंडी अधिकारों के लूत के अक्स में भाजपा को अपने बचाव में कोई जवाब ही नहीं सूझ रहा था. सच है, सच जब बाहर आता है तो विरंची नारायण जैसे भाजपा विधायक सदन से बाहर का रास्ता लेना ही बेहतर समझते हैं. मसलन, सुदिव्य कुमार के उकेरी लकीरों के चौहद्दी में भाजपा शत प्रतिशत काजल की कोटरी में नजर आई.

उर्दू भाषा को तो बाबूलाल-रघुवर सरकार ने जोड़ा, हेमन्त सरकार ने तो केवल क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के द्वार खोले

झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार ने भाजपा द्वारा क्षेत्रीय भाषा उर्दू को सभी जिलों में जोड़े जाने का सच सामने लाया. ज्ञात हो,  प्रदेश भाजपा के नेता अपने सप्रदायिक राजनीति के अक्स में हेमन्त सरकार पर उर्दू को बढ़ावा देने, तुष्टिकरण का आरोप लगा रहे थे. ऐसे में भाजपा के दो मुख्यमंत्रियों के काल में उर्दू को क्षेत्रीय भाषा की सूची में अंगीकृत करने का दस्तावेज प्रस्तुत कर सुदिव्य कुमार द्वारा सच सामने लाया जाना, झारखण्ड में भाजपा राजनीति की पोल खोलती है. साथ ही बाबूलाल मरांडी जैसे झारखंडी नेता की चापलूसी की पराकाष्ठा का सच भी सामने रखती है.

सुदिव्य कुमार ने दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी के सरकार में 4 जून 2003 व रघुवर सरकार में 10 दिसम्बर 2018 को उर्दू भाषा को क्षेत्रीय भाषा के रुपमे में जोड़ा गया था. हेमन्त सोरेन की सरकार ने वर्तमान में भाजपा के फैसले को आगे बढाते हुए 19 लाख से अधिक उर्दू भाषियों के अधिकार को संरक्षण दे अपनी जिम्मेदारी निभायी है. ऐसे में क्या यह समझा नहीं जाना चाहिए कि भाजपा ने केवल अल्पसंख्य वोट साधने के लिए क्षेत्रीय भाषा के तौर पर उर्दू को शामिल किया. जबकि हेमन्त सरकार ने उर्दू भाषा के विकास में फैसला ले संविधान की मूल भावना को मजबूती दी है. 

हेमन्त सरकार में क्यों सभी जिलों में उर्दू भाषा को यथावत रकः गया, इसके लिए उन्होंने 2011 की जनगणना रखा आधार

सुदिव्य कुमार ने बताया कि हेमन्त सरकार में सभी जिलों में उर्दू को जोड़ने के पीछे का कारण राज्य में इस भाषा का प्रयोग करने वाली जनसंख्या को ध्यान में रखा गया है. उन्होंने इस सन्दर्भ में 2011 की जनगणना का हवाला दे साबित किया उर्दू भाषा झारखण्ड के 19 मूलवासी का भविष्य निर्धारण करेगी. गिरिडीह विधायक ने बताया कि पूरे राज्य में उर्दू बोलने वालों की संख्या 19,65,653 हैं. इसमें रांची में 2.51 लाख,  पलामू में 1.20 लाख,  धनबाद में 2.27 लाख, गिरिडीह में 1.83 लाख उर्दू बोलते हैं.

हेमन्त सरकार की नियोजन नीति से हिन्दी को मिला सम्मान, लेकिन भाजपा ने फैलाया हटने का भ्रम 

भाजपा नेताओं द्वारा हेमन्त सरकार की नियोजन नीति में हिन्दी भाषा को हटाये जाने के झूठे भ्रम को फैलाए का भी पर्दाफास सुदिव्य कुमार द्वारा किया गया. बता दें कि भाजपा नेता क्षेत्रीय भाषा की सूची से हिन्दी को हटाने का झूठा आरोप हेमन्त सरकार पर लगा रहे हैं. सुदिव्य कुमार ने सच सामने लाते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा हिन्दी भाषा को नियोजन नीति में एक प्रमुख अंश के रूप में जोड़ा गया  है. मैट्रिक या इंटरमीडिएट और स्नातक स्तरीय परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थी जबतक हिन्दी विषय में क्वालिफाई नहीं करते, तबतक वह अन्य क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा के लिए क्वालिफाई ही नहीं कर सकते. 

भाजपा के सांप्रदायिकता व दंगा भड़काने के मंशे पर हेमन्त सरकार ने विराम लगा झारखण्ड को जलने से बचाया 

सदन में सरकार का पक्ष रखते हुए गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार ने भाजपा की सांप्रदायिक नीति का  पोल खोला गया. हजारीबाग में बीते दिनों रुपेश पांडे हत्याकांड प्रकरण से प्रदेश सहित राज्य सरकार भी मर्माहत रही. सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल रुपेश पांडे के माता-पिता से मिलकर मदद पहुंचाने व दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की करने की बात कही. लेकिन भाजपा नेताओं ने पूरे प्रकां में राजनीति रोटी सेंकने का प्रयास किया. वे चाहते, तो भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा घटित न हो, इसके लिए महामहिम राज्यपाल से मांग कर सकते थे.

लेकिन, उन्होंने मॉबलिंचिंग कानून के मद्देनजर सरकार के साथ खड़े होने के बजाय सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का काम किया. भाजपा नेताओं ने दिल्ली कुखियात अपराधी व भाजपा नेता कपिल मिश्रा को झारखण्ड बुलाया. दरअसल ऐसा कर भाजपा राज्य में सांप्रदायिक दंगा भड़काने की साजिश रच रहे थे. जाहिर है हेमन्त सरकार ने इनके मंशे पर विराम लगा स्वाभाविक तौर पर राज्य को सांप्रदायिक आग में जलने से बचाया.

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