ठीक इसी इलाके में 25 नवंबर 2017 को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के काफिले पर हमला कर बीजेपी विधायक समर्थक ऐसे साजिश को पहले भी दे चुके हैं अंजाम
घटना के बाद वायरल वीडियो में साफ सुनायी दे रहा था धार्मिक नारे
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सुरक्षा काफिले पर हुए साजिश के तहत हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन, प्रदेश बीजेपी के नेता इसपर भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदेश बीजेपी नेता दीपक प्रकाश और हमेशा झूठी व मौकापरस्ती का राजनीति करने वाले बाबूलाल मरांडी इसे जनाक्रोश बता रहे हैं। दरअसल, ऐसा कर वह अपने पार्टी समर्थक नेता-कार्यकर्ता को और शह दे रहे हैं, जिससे राज्य की सारकार अस्थिर हो सके।
साजिश के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हुई हमला उसी इलाके में घटी हैं जहां कभी पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के काफिल पर हुआ था। ज्ञात हो कि किशोऱगंज जहां सोमवार देर शाम यह कायराना घटना घटी, को बीजेपी समर्थकों का गढ़ माना जाता हैं। वहीं जब हेमंत सोरेन के काफिले पर हुए हमले के वायरल वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि बीजेपी समर्थक जोर-जोर से धार्मिक नारे लग रहा थे। और इस कायराना हरकत पर शर्मिंदा होने के बजाय भाजपा के नामचीन नेता इसे जनाक्रोश सिद्ध करने में जुटे हैं।
विधायक सीपी सिंह के समर्थकों ने रघुवर दास के काफिले को रोका था

24 नवंबर 2017, जब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा हरमू रोड के सभी डिवाइडर को बंद करा दिया था, तो स्थानीय विधायक सीपी सिंह ने काफी नाराज़गी जतायी थी। उस वक्त सीपी सिंह ने अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ एक बड़ा बयान दे दिया था। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री उनके विधानसभा में कोई फैसला करते हैं, लेकिन उन्हें जानकारी नहीं देते। बस फिर क्या था, अगले ही दिन यानी 25 नवंबर को सीपी सिंह समर्थक लोगों ने रघुवर दास के काफिले को रोक दिया था। क्या इत्तेफ़ाक है महज चंद दिन पहले इस बार भी सीपी सिंह हेमंत सरकार के खिलाफ भ्रम फैलाने वाला बयान दिया था।
बीजेपी नेता बताते हैं महिला के बढ़ते उत्पीड़न का स्वतः स्फूर्थ विरोध, हकीकत कुछ और
दीपक प्रकाश कहते हैं कि मुख्यमंत्री के काफिले का घेराव राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते उत्पीड़न का स्वतः स्फूर्त विरोध है। वहीं बाबूलाल मरांडी ने कहते हैं कि झारखंड में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध के प्रति जनता की सहनशक्ति खत्म हो चुकी है। आज मुख्यमंत्री का काफिला रोका, तो उन्हें दूसरे रास्ते से छिपकर निकलना पड़ा। राज्य की स्थिति रास्ते बदलने से नहीं, जमीन पर उतर कर काम करने से बदलेगी। एक तो ऐसे बयान पितृसत्तात्मक सोच रखने वाले नेताओं के चरित्र के साथ मेल नहीं खाते। वहीं सवाल यह है कि क्या ये सोच के साथ सत्ता तक पहुंचना चाहते है? क्या ये राज्य के शान्ति को भंग कर, गृह युद्ध के तरफ धकेलना चाहते हैं? क्या है इस साजिश का सच…
कार्यकर्ताओं को बचाने के साथ भविष्य में इस तरह की घटना को दोबारा अंजाम देने के लिए शह दे रहे बीजेपी नेता
दरअसल, दोनों बीजेपी नेताओं की ऐसी बयानबाजी अपने कार्यकर्ताओं के कायराना हमले की बचाव भर है। उनके बयान साबित करते हैं कि वह ऐसा कर अपने फ्यूज बल्ब को दोबारा जलाना चाहते हैं। कोई ठोस मुद्दा न होने की स्थित में शायद उन्हें ऐसे शाजिस को अंजाम देना पड़ रहा है। उनके बयान साफ़ अपील करती है जिससे उनके कार्यकर्ताओं का भविष्य में ऐसी ही घटना को ऐसी घटना को अंजाम देने के लिए मनोबल बढ़ा रहे।
वीडियो में कई ऐसे चेहरे पहचाने जा रहे हैं, जो बीजेपी के समर्थक माने जाते है। दोनों नेता यह जानते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफ़िले पर हुए हमला उनके ही कार्यकर्ताओं द्वारा एक सुनियोजित तरीके से एक सोची समझी साज़िश का हिस्सा था। लेकिन, इस दफा इनका पर्दाफ़ाश हो चुका है! और ऐसी ओछी राजनीति की संस्कृति झारखंड कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
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