झारखण्ड : जैन अनुयायियों के द्वारा प्राप्त आवेदनों के अनुसार गिरिडीह पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर जी की सुचिता बनाये रखने हेतु झारखण्ड सरकार का केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव को समुचित निर्णय लेने हेतु आग्रह पत्र.
रांची : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की संबंधित अधिसूचना के संदर्भ में जैन अनुयायियों द्वारा प्राप्त आवेदनों के अनुसार पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर जी की सुचिता बनाये रखने हेतु झारखण्ड सरकार के द्वारा केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिख समुचित निर्णय लेने हेतु आग्रह किया गया है.
झारखण्ड सरकार के पत्र में कहा गया है कि झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिलान्तर्गत पारसनाथ सम्मेद शिखर जी पौराणिक काल से हीं जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है. मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थकरों द्वारा निर्वाण प्राप्त किया गया है.
इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी यहाँ तीर्थ करने आते हैं. अतएव झारखण्ड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है. पूर्व में भी इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु राज्य सरकार द्वारा प्रतिबद्धता जारी किया गया है.
इस क्षेत्र में विकास एवं व्यावसायिक क्रियाकलापों के विनियमन हेतु पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार गठित है
इसके अतिरिक्त इस स्थल के समुचित विकास एवं इस क्षेत्र में व्यावसायिक क्रियाकलापों के विनियमन हेतु राज्य सरकार द्वारा सचिव, पर्यटन की अध्यक्षता में पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार गठित है जिसमें 6 गैर सरकारी निदेशकों को भी सदस्य बनाया जाना है. चयन की कार्रवाई चल रही है. जिससे यहाँ आने वाले धार्मिक श्रद्धालुओं के धार्मिक भावना के अनुसार इस क्षेत्र की व्यावसायिक गतिविधियों का विनियमन हो सकेगा.
वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा उक्त स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखने हेतु गिरिडीह जिला के जिलाधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी किया गया है. जारी निर्देश के आलोक में इस स्थल पर पुलिस गश्ती बढ़ाते हुए इस स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखना सुनिश्चित किया गया है.
भारत सरकार के अधिसूचना में पर्यटन सहित पारिस्थितिक पर्यटन का उल्लेख
वर्तमान में कई जैन अनुयायियों से इस स्थल की पवित्रता व सुचिता बनाये रखने एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 को निरस्त करने हेतु आवेदन प्राप्त हुए हैं. इस अधिसूचना के कंडिका 2.3 (VI) व कंडिका 3 ( 3 ) में पर्यटन सहित पारिस्थितिक पर्यटन का उल्लेख है जिसपर जैन समुदाय को आपत्ति होने का उल्लेख प्राप्त आवेदनों में दर्ज है.
राज्य सरकार जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं का संपूर्ण सम्मान करती है एवं उक्त स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है. अतः उक्त अधिसूचना के कंडिका 2.3(VI) व कंडिका 3(3) के क्रियान्वयन के निमित्त राज्य सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है. उक्त स्थल के धार्मिक महत्व के अनुसार पवित्रता व सुचिता को अक्षुण्ण रखने की दिशा में राज्य सरकार के अधीन आने वाले विषयों पर राज्य सरकार द्वारा निरंतर प्रयास व आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.
परंतु जहां तक जैन अनुयायियों से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ), दिनांक 02.08.2019 को निरस्त करने हेतु प्राप्त अनुरोध का प्रश्न है, इस पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ही कार्रवाई की जा सकती है.
अतः अनुरोध है कि जैन अनुयायियों से प्राप्त अनुरोध के आलोक में उनके धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने की कृपा की जाए.