आदिवासी रेजिमेंट के गठन का निर्देश दिया जाए : सीएम सोरेन

झारखण्ड : पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में सीएम ने कहा झारखण्ड में रेलवे का जोनल मुख्यालय नहीं. आदिवासियों की वीरता व बलिदान को पहचान नहीं मिली. आदिवासी रेजिमेंट के गठन का निर्देश रक्षा मंत्रालय को दिया जाए.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के बैठक में सीएम हेमन्त सोरेन शामिल हुए. बैठक में सीएम सोरेन के द्वारा कहा गया कि आदिवासी वनों में पीढ़ियों से निवास करते आए हैं.

ऐसे लोगों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए वनाधिकार अधिनियम 2006 के अनुरूप संशोधित किया जाए. पांच हेक्टेयर तक की वन भूमि के अपयोजन के लिए राज्य सरकार के द्वारा स्वीकृत किये जाने के पूर्व के प्रावधान को बहाल किया जाए.

बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा कही गई महत्वपूर्ण बातें…

  • झारखण्ड राज्य का विभिन्न कोयला कंपनियों जैसे CCL, BCCL, ECL पर कुल एक लाख छत्तीस हजार करोड़ बकाया राशि का शीघ्र भुगतान कराया जाए.
  • बंद खदानों का माइंस क्लोजर कराया जाए ताकि पर्यावरण की सुरक्षा हो सके एवं अवैध खनन पर भी रोक लग सके.
  • साहेबगंज को मल्टी मॉडल टर्मीनल के रूप में विकसित किया जा रहा है एवं भविष्य में यह पूर्वोत्तर राज्यों के लिए गेटवे बनेगा. अतः यहाँ पर एयरपोर्ट निर्माण कराया जाए.
  • रेलवे को सर्वाधिक आय झारखण्ड राज्य से प्राप्त होता है परंतु, झारखण्ड में रेलवे का एक भी जोनल मुख्यालय नहीं है. झारखण्ड में रेलवे का जोनल मुख्यालय स्थापित करने का निर्देश दिया जाए.
  • केन्द्र प्रायोजित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में विगत दस वर्षों से भारत सरकार द्वारा कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है. महँगाई को देखते हुए इस राशि में पर्याप्त बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है.
  • प्रधानमंत्री आवास योजना में झारखण्ड के लगभग आठ लाख पैंतीस हजार परिवार इसके लाभ से अभी भी वंचित हैं. इन सभी को आवास स्वीकृत करने का निर्देश ग्रामीण विकास मंत्रालय को दिया जाए.
  • झारखण्ड जैसे उग्रवाद प्रभावित एवं गरीब राज्य में CAPF (Central Armed Police Force) की प्रतिनियुक्ति के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा राज्य सरकार से राशि के भुगतान की माँग नहीं की जानी चाहिए.
  • GST कंपनसेशन की अवधि को अगले 05 वर्षों तक विस्तारित किया जाए अन्यथा झारखण्ड को प्रत्येक वर्ष लगभग पाँच हजार करोड़ रूपये का नुकसान होने के संभावना है.
  • भारत का इतिहास आदिवासियों के बलिदान से गौरवांवित है परंतु इनकी वीरता को वह पहचान नहीं मिल पाई जिसके वह हकदार हैं. इसलिए सेना में आदिवासी रेजिमेंट के गठन का निर्देश रक्षा मंत्रालय को दिया जाए.

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