रायपुर : राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में सीएम हेमन्त का भाई के रूप में भव्य स्वागत 

रायपुर : राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में सीएम हेमन्त का भाई के रूप में भव्य स्वागत 

छत्तीसगढ़, रायपुर : सीएम हेमन्त सोरेन का रायपुर में आयोजित तृतीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हुआ भाई के रूप में भव्य स्वागत. सीएम सोरेन ने कहा – सभी वर्गों का समुचित और समेकित विकास ही विकसित राष्ट्र का स्वरूप. 

रायपुर, छत्तीसगढ़ : तृतीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में यदि सीएम हेमन्त सोरेन कहे कि वह सदियों से संघर्षरत आदिवासी दलित जैसे तमाम समुदाय को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. झारखण्ड-छत्तीसगढ़ में कई समानताएं होने के कारण दोनों राज्य भाई-भाई हैं. निश्चित रूप से उनमें विद्यमान विविधता में एकता, भारत देश की महान पहचान को दर्शाता है. 

रायपुर : राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में सीएम हेमन्त का भाई के रूप में भव्य स्वागत 

ज्ञात हो, भारत देश में हर धर्म, मजहब और जाति के लोग युगों से एकजुटता के साथ रहते आए हैं. सीएम सोरेन का स्पष्ट कहना कि देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए जरूरी है कि सभी वर्ग, समूह का समान रूप से समुचित और समेकित विकास हो, लोकतंत्र के मर्म छूता है. झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की यही महान विचारधारा तो झारखण्ड व देश के महापुरुषों की जीवनी में झलकता है.  

आदिवासी, दलित व पिछड़े वर्ग की सवालों का निदान जरूरी 

सीएम सोरेन के वक्तव्य में, झारखण्ड, बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, बंगाल समेत देश के कई हिस्सों में आदिवासी, दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यक वर्ग के सवाल, उनकी समस्याओं का समाधान आजाद भारत के 75 सालों में भी न होने की टीस साफ झलका. 

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि उनकी सरकार में तमाम वर्गों की समस्याओं का समाधान करते हुए राज्य को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास हो रहा है. झारखण्ड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में ऐसे विशेष समारोह का आयोजन इसी प्रयास का हिस्सा है. 

आदिवासी समुदाय सदियों से संघर्षरत – छत्तीसगढ़-झारखण्ड में कई समानताएं

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि आदिवासी समुदाय सदियों से देश में अपनी अहम भूमिका निभाता आ रहा है. देश में हासिए पर खड़ा यह वर्ग सदियों से संघर्षरत रहा है. मसलन, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ की सरकार इस समुदाय को आगे बढ़ाने की दिशा में कई प्रयास कर रही है, जो इनका संवैधानिक हक भी है. 

झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में समानताएं होने कारण दोनों राज्य भाई-भाई जैसे हैं. दोनों ही राज्यों में आदिवासियों व दलित की एक बड़ी आबादी निवास करती है. अगर इन दोनों राज्यों के कुछ हिस्सों जाएंगे तो पता ही नहीं चलेगा कि कौन छत्तीसगढ़ का क्षेत्र है और कौन सा झारखण्ड का. यही सांस्कृतिक-प्राकृतिक विशेषता दोनों राज्य को एक-दूसरे के बेहद करीब लाती है. 

झारखण्ड में पहली बार आदिवासी दिवस के अवसर मनाए गया भव्य समारोह 

झारखण्ड प्रदेश में लगभग 28-30% आबादी आदिवासियों की है. लेकिन, अलग राज्य बनने के बाद भी आदिवासियों कई पहचान को बचाने में, कोई विशेष कार्यक्रम आयोजित न होना, पूर्व की सत्ताओं के मंशा को दर्शाता है. झारखंडी मानसिकता की सरकार में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर हासिए पर खड़े इस समुदाय की पहचान को बचाने हेतु भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. 

ज्ञात हो, छत्तीसगढ़, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हो झारखण्ड का मान बढ़ाया था. हमने आदिवासी दिवस समारोह का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य में हुए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव से प्रेरित होकर किया था. ताकि आदिवासी समुदाय अपने महान सांस्कृतिक, सामाजिक, पारंपरिक व ऐतिहासिक पहचान के साथ देश दुनिया के सामने मजबूती से अपना पहचान रख सके.

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