रवीश कुमार की ताजा रिपोर्ट सच उजागर करता है कि कैसी मोदी सरकार व उसके डबल इंजन सरकार में देश के गौरवशाली इतिहासों को ज़मींदोज करने के प्रयास हुआ है. देश के प्रथम महिला स्कूल तक को संरक्षण न मिला.
रांची : रवीश कुमार की ताजा रिपोर्ट सच उजागर करता है कि कैसे मोदी सरकार व उसके डबल इंजन सरकार में देश के गौरवशाली इतिहास को ज़मींदोज करने के प्रयास हुआ है. ज्ञात हो, महिला सशक्तिकरण के मद्देनजर देश में सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले को महिला मुक्ति के अमिट प्रतीक के रूप में देखा जाता है. यह महान हस्ती भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारक व आधुनिक मराठी कवियत्री रही.
सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले ने ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ देश में स्त्री अधिकार के मद्देनजर नारी शिक्षा के उल्लेखनीय कार्य किये. इन्होने 1852 में बतौर भारतीय बालिकाओं के लिए प्रथम विद्यालय की नीव राखी थी. और पुरुषवादी मानसिकता के जकडन तले न केवल बेटियों को शिक्षा दी, उनके शिक्षा के अधिकार के मार्ग प्रस्सत भी की. लेकिन, आज वह स्कूल ढह चुका है. जो मोदी सरकार के स्त्री शिक्षा के प्रति मानसिक दिवालियापन दर्शा सकता है.
सीएम हेमन्त के शासन झारखंडियों को जरुर गर्व करने का मौक़ा देता है
लेकिन, ऐसे मामले में सीएम हेमन्त का शासन झारखंडियों को जरुर गर्व करने का मौक़ा देता है. झारखण्ड में हेमन्त सरकार की नीतियां न केवल महिला सशक्तिकरण की वकालत करती है, सीएम सोरेन की वचन, मंशा व कार्यप्रणाली भी इस सत्य की पुष्टी करते हैं. हेमन्त सरकार की जनकल्याणकारी योजनायों के अक्स में राज्य में महिला सशक्तिकरण को मजबूती देती है.
विशेष तौर पर सावित्री बाई फूले किशोरी समृद्धि योजना के तहत बेटियों की शिक्षा के मार्ग प्रसस्त करना व बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने का प्रयास. साथ ही आर्थिक व दहेज़ जैसे सामाजिक भार के अक्स में छात्राओं का दसवीं तक जाते-जाते शिक्षा छोड़ने की विवशता से मुक्त करने का प्रयास निश्चित रूप से सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले जैसे महान ऐतिहासिक महिला के प्रयासों को श्रद्धांजलि व आदरांजलि माना जा सकता है.