झारखण्ड: बीजेपी के कांफ्रेंस में केन्द्रीय व उसके डबल इंजन सरकार के रिपोर्ट कार्ड के लिफ़ाफ़े पर फिर एक बार हेमन्त सरकार का नाम चिपका क्र पढने का प्रयास हुआ. जन मुद्दों से परे एजेंसियों के चुटके के आसरे राजनीति का प्रयास. आदिवासी सीएन को बदनाम करने का प्रयास हुआ.
रांची : हेमन्त सरकार के तीन वर्ष पूरे हो चके हैं. कोरोना के 2 कष्टदायक वर्ष के बावजूद यह सरकार 1932 खतियान, 27% ओबीसी आरक्षण, एसटी 28%, एससी 12%, पुरानी पेंशन, जीपीएससी नियमावली, पारा शिक्षक, आंगनबाड़ी बहनों के नियमावली, कृषि ऋण माफ़ी, सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, सर्वजन पेंशन योजना, रोजगार सृजन, 100 यूनिट मुफ्त बिजली, पशुधन योजना, गुरूजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, एकलव्य प्रशिक्षण, लिफ्ट सिंचाई…
शेवनिंग मरांग गोमके पारदेशीय छात्रवृति, ट्राइबल यूनिवर्सिटी, मुख्यमंत्री सारथि योजना के आसरे राज्य में पूर्व की सत्ता में फैले मकडजाल को काटने जैसे उपलब्धियों के साथ अपने चौथे वर्ष में कदम बढ़ा रही है. लेकिन, इस मौके पर राज्य के विपक्ष ने अपने चिर परिचित सामंतवादी अंदाज में, मगरमच्छ के आंसू के साथ प्रेस कांफ्रेंस की. जिसमें उसके द्वारा केन्द्रीय व उसके डबल इंजन सरकार के रिपोर्ट कार्ड के लिफ़ाफ़े पर केवल हेमन्त सरकार का नाम चिपका कर पढने प्रयास हुआ.
प्रेस कांफ्रेंस में सामंतवादी हथियार भ्रम फैलाने की सपष्ट तस्वीर दिखी
- ज्ञात हो, हेमन्त सरकार में पिछले विधानसभा सत्र में मोबलिंचिंग के रोक-थाम में क़ानून बनाने का सराहनीय प्रयास हुआ. लेकिन उस वक़्त भी विपक्ष के द्वारा अड़चने उतपन्न की गई. और आज उसी भीड़तंत्र के आसरे राजनीति का प्रयास हुआ. क्या यह विपक्षीय सामंतवाद की स्पष्ट तस्वीर नहीं.
- विपक्ष के द्वारा फिर एक बार हिडन एजेंडे के तहत बाहरियों के पक्ष में झारखण्ड की क्षेत्रीय भाषा को प्रताडीत करने का प्रयास हुआ.
- सदन में पेश किये गए तथ्यों के अनुसार विपक्ष के द्वारा पहले बाहरियों व कोलेजियम सिस्टम के आसरे राज्य की नियोजन नीति को रद्द करने में अहम भूमिका निभाई गयी. युवाओं को आक्रोषित करने का प्रयास हुआ. और अब विपक्ष के द्वारा उस आक्रोश को हवा दे व उसके पीछे खड़ा हो राजनीति करने का स्पष्ट प्रयास दिखा.
- सीएम हेमन्त सोरेन के कथन पर मुहर लगाते हुए फिर एक बार विअपक्ष के द्वारा जांच एजेंसियों के छुटकों को मुद्दा बना राजनीति करने का प्रयास दिखा. साथ ही रेलवे परिवहन से हो रहे लूट के प्रति सरकार के साफ़ आवाज को दबाने का भी प्रयास दिखा.
- वीर सावरकर के भांति कोरोना काल में हुए आर्थिक त्रासदी के अक्स में मोदी सरकार के एक्ट ऑफ़ गॉड के बयान को छिपाने का विपक्षी प्रयास स्पष्ट रूप से दिखा. साथ ही राज्य में पहली बार ओबीसी वर्ग के हित में हो रहे सकारात्मक प्रयास, जिसकी तस्दीक पत्रकार दिलीप मंडल भी करते हैं, की पीड़ा में विपक्ष कराहते दिखे.
- रघुवर सरकार की साथी पूजा सिंघल के भर्ष्टाचार का जवाब ईडी के बजाय हेमन्त सरकार से माँगा गया.
- बीजेपी सरकार में देखते ही देखते बाहरी अतिक्रमण व भर्ष्टाचार के आसरे हरमू नदी को नाले में तब्दील कर दिया गया. प्रयावरण के मद्देनजर ऐसे कर्मकांड का जवाब भी हेमन्त सरकार से माँगा जाना निश्चित रूप सामंतवाद की पराकाष्ट है और झारखण्ड के बहुसंख्यक आबादी को बेवकूफ समझें की बड़ी भूल.