9वी अनुसूची पर भी कोर्ट कर सकता है टिप्पणी -दीपक प्रकाश का झारखण्ड विरोधी बयान

झारखण्ड : नियोजन नीति के मद्देनजर कोर्ट के फैसले के आसरे जहां क्षेत्रीय भाषाओँ के प्रति दीपक प्रकाश की कुंठा दिखी तो वहीँ उनकी 9वी अनुसूची को लेकर भी झारखण्ड विरोधी मानसिकता की स्पष्ट तस्वीर पेश हुई.

रांची : नियोजन नीति रद्द करने के कोर्ट के फैसले के आड़ में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के प्रेस कांफ्रेंस में हिन्दी जैसे संवेदनशील मुद्दे को हथियार बना कर न केवल बहारियों की वकालत की गयी. झारखंडी क्षेत्रीय भाषा पर भड़ास निकाल अपनी कुंठा प्रदर्शित की. और इसी के आड़ में उन्होंने 9वी अनुसूची पर निशाना साधते हुए झारखण्ड विरोधी बयान भी दिया. इस मुद्दे बाबुला मरांडी की चुप्पी से राज्य वासियों के समक्ष उनकी स्पष्ट मंशा भी प्रदर्शित हुई.

9वी अनुसूची पर भी कोर्ट कर सकता है टिप्पणी -दीपक प्रकाश का झारखण्ड विरोधी बयान

दीपक प्रकाश के द्वारा हिंदी बोली के आंकड़े पेश कर जहाँ ऐक तरफ बीजेपी के आदिवासियों – मूलवासियों को संग्रहालय में सीमित करने के स्पष्ट एजेंडे को साधा गया. तो वहीँ शातिर तरीके से हेमन्त सरकार में आदिवासी व क्षेत्रीय भाषाओँ के विकास में हो रहे यूनिवर्सिटी जैसे सार्थक प्रयास को सिरे खारिज कर दिया गया. और मनुवादी सोच के आसरे एक बार फिर क्षेत्रीय भाषा के प्रति बीजेपी के नापाक इरादे को हेमन्त सरकार सर मढ़ने का प्रयास हुआ. 

बीजेपी अध्यक्ष के प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार के नियोजन नीति की तरह 9वी अनुसूची में भेजी गयी 1932 वर्ष आधारित स्थानीय बिल का भी ऐसा ही हश्र होगा. जिसका साफ़ मायने यह है कि केंद्री बीजेपी झारखण्ड के इस महत्वपूर्ण विषय पर सहयोग नहीं कर सकती है. और दूसरा कोर्ट भी झारखण्ड के इस आशा पर टिपण्णी कर सकता है. ज्ञात हो, पत्रकार दिलीप सिंह मंडल ने पहले ही आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है.

बीजेपी शातिराना तरीके से उस आक्रोश के पीछे खड़ी अपना मंशा साधने का प्रयास

तमाम तथ्यों से सपष्ट होता है कि झारखण्ड बीजेपी कभी भी झारखंडी मुद्दों के साथ खड़ी नहीं दिखती है. बल्कि अपने आईटी सेल के माध्यम से बाहरियों के पक्ष में झारखंडी मानसिकता पर मौक़ा मिलते ही पूरी ताक़त से भ्रम फैला आक्रोश पनपाने का प्रयास करती है. और शातिराना तरीके से उस आक्रोश के पीछे खड़ी हो अपना मंशा साधने का प्रयास करती है. ऐसे में झारखण्ड के मूलवासियों के लिए जरुरी है कि वह फूक-फूक के ही कदम रखे.

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