मुख्यमंत्री महामारी में हर पल रहे जनता के साथ, निजी अस्पतालों के मनमानी पर भी लगाया लगाम

निजी अस्पतालों के लिए कोविड इलाज की दर तय होने से परेशान मरीजों व उनके परिवारों को मिली तत्काल राहत. आदेश उल्लंघन करने वाले निजी अस्पतालों पर हुई कार्यवाही. उन्हें गरीबों की राशि तक वापस लौटाना पड़ा.   

केस स्टडी से पता चलता है कि निजी अस्पतालों की मनमानी पर मुख्यमंत्री की सख़्ती ने बचाया झारखंड की गरीब जनता का जीवन 

रांची: कोरोना महामारी ने जनता को बता दिया कि क्यों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व झामुमो की विचारधारा, केंद्र की निजीकरण नीतियों का विरोध करती आयी है. और सरकारी संस्थानों को बचाने कवायद भी. महामारी के दौर में जहाँ तमाम सरकारी अस्पताल अल्प संसाधन में भी लोगों का जीवन बचाती दिखी. तो वहीं निजी अस्पतालों की लुटेरी मानसिकता खुल कर सामने आयी है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में, सरकारी अस्पतालों में बेड फूल होने के कारण भारी संख्या में संक्रमितों के जीवन बचाने के लिए, परिजनों ने उन निजी अस्पतालों की ओर भी रुख किया. जिसकी कल तक कोई पहचान भी नहीं थी.

ज्ञात हो, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के दिशा-निर्देश में राज्य के सभी सदर व अन्य सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज संभव हुआ है. महामारी के पीक के शुरूआती दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ने से सरकारी अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे. नतीजतन, लोगों ने निजी अस्पतालों की ओर भी रुख किया. लेकिन, निजी अस्पतालों के फर्ज़ ने लालच के आगे दम तोड़ दिया. वह आपदा को अवसर में बदलने की तैयारी में जुट गए. कई प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के परिजनों से इलाज के नाम पर मनमानी राशि वसूलने का मामला सामने आया. आर्थिक मंदी के दौर में लोगों के लिए निजी अस्पतालों के मनमाना बिल चुकाना मुश्किल था.

मसलन, शिकायतों के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने जनता के पक्ष में तत्काल महत्वपूर्ण कदम उठाये. पहला, निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए सरकारी दर तय कर दी. तो दूसरा, नियम उल्लंघन के शिकायत पर संबंधित जिला प्रशासन को मामले में कठोर कार्यवाही के भी निर्देश दिये गए. जिससे संक्रमितों के उन गरीब परिजनों को तत्काल राहत मिली जिनके अपने इलाजरत थे.

सीएम ने एलान किया मरीज को पहले भर्ती करायें, फिर 104 नंबर पर फोन करें, तत्काल होगी कार्यवाही

हेमन्त सोरेन ने सभी प्रकार के अस्पतालों में इलाज के लिए दर निर्धारित किया. और कहा कि यदि कोई अस्पताल निर्धारित दर से अधिक पैसा मांगता है तो परेशान न हों. पहले मरीज को उस अस्पताल में भर्ती कराएं. फिर राज्य नियंत्रण कक्ष 104 नंबर पर शिकायत करें. शिकायत सही पाए जाने पर उस अस्पताल संचालक पर आपदा अधिनियम सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया जाएगा. कार्रवाई के तहत संबंधित अस्पताल का निबंधन रद्द करने समेत आपराधिक मुकदमा भी दर्ज होगा. सीएम ने कहा कि यदि यह काम कोई सरकारी अस्पताल के पदाधिकारी व कर्मचारी करता है, तो उस पर भी कार्रवाई होगी.

24 जिलों को तीन श्रेणियों में बांटकर निजी अस्पतालों में तय की गई कोविड के इलाज की दर

आपदा को अवसर समझने वाले निजी हॉस्पिटल

निजी अस्पतालों में इलाज के लिए सीएम ने राज्य के सभी 24 जिलों को तीन कैटेगरी में बांटकर इलाज की दर तय करने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिया. स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर इलाज की राशि तय की. जैसे-

रांची, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो और धनबाद में एमएबीएच अस्पताल में ऑक्सीजन बेड की दर 8000, बिना वेंटिलेटर के आईसीयू बेड की दर 10,000, वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बेड के लिए 12,000 की दर तय की गई. इन जिलों में नन-एमएबीएच के लिए दिये गए सभी दरों में 500 रुपये की कमी की गयी. और ऑक्सीजन बेड की दर 9000 रुपये निर्धारित की गयी.

इसी तरह हजारीबाग, गिरिडीह, देवघर, पलामू, सराईकेला, रामगढ़ में, एमएबीएच अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की दर 7000, बगैर वेंटिलेटर-आईसीयू बेड की दर 8500 और वेंटिलेटर युक्त आईसीयू के लिए दर 11,000 व नन-एमएबीएच अस्पतालों में 500 रुपये की दर में कमी की गयी.

अन्य सभी जिलों में एमएबीएच अस्पताल में ऑक्सीजन बेड की दर 6000, बगैर वेंटिलेटर-आईसीयू बेड की दर 8,000 व वेंटिलेटर युक्त आईसीयू बेड की दर 10,500 रुपये, नन-एमएबीएच अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड के लिए दर 5000 रुपये, बगैर वेंटिलेटर-आईसीयू बेड की दर 7,500 रुपये व वेंटिलेटर युक्त आईसीयू की दर 9,000 रुपये निर्धारित की गयी.

चार केस स्टडी से पता चलता है कि मुख्यमंत्री के फैसले का असर भी दिखा. जिन निजी हॉस्पिटल ने सरकारी आदेशों का उल्लंघन किया, तो उसे जांच के दौर से गुजरना पड़ा-

  1. 17 अप्रैल को राजधानी के महिलौंग स्थित द्वारिका हॉस्पिटल रिसर्च ने 1 दिन के इलाज करने के बदले मरीज को 1 लाख का बिल थमा दिया. इस पर सीएम ने स्वास्थ्य मंत्री को निर्देश दिया कि वे ऐसी मनमानी करने वालों पर रोक लगाएं. साथ ही ऐसे प्राइवेट अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई करें.
  2. 27 अप्रैल को रांची के रातू इलाके में स्थित वरदान हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में मरीज के परिजन को 1.28 लाख का बिल थमा दिया गया. इसकी शिकायत सीएम से की गयी. जिस पर सीएम ने डीसी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया. मरीज को राहत मिली.
  3. बीते 12 मई को सीएम को सिटी ट्रस्ट हॉस्पिटल द्वारा एक मरीज से मनमाने तौर पर 66,600 रुपये वसूलने की जानकारी मिली. इस पर सीएम ने डीसी रांची को तत्काल मामले की जानकारी ले कार्रवाई करने का निर्देश दिया. जांच के बाद मरीज को 24,000 रुपये अस्पताल प्रबंधन द्वारा लौटाया गया.
  4. बीते 18 मई को एक बेटी ने सीएम से फरियाद लगायी कि सिटी ट्रस्ट हॉस्पिटल में उसके पिता एडमिट थे. डॉक्टर कभी देखने नहीं आये, लेकिन एक दिन का बिल 50,000 रुपये उसे थमा दिया गया. जैसे ही सीएम को जानकारी मिली, उन्होंने डीसी को जांच का निर्देश दिया. जांच के बाद अस्पताल को मरीज को 20,000 रुपये लौटाना पड़ा.

ऐसे अन्य कई मामले हैं जहाँ मुख्यमंत्री के आदेश के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा नियम की अवमानना करने वाले निजी अस्पतालों की पड़ताल की जा रही है. तथा आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है. मसलन, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सटीक प्रबंधन में जनता की जीवन रक्षा संभव हुई है. और संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों पर लगाम लग सका है.

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