मैं, हेमंत… 148 शब्द के झारखंडियत मायने

मैं हेमंत सोरेन, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं… राज्य के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूँगा। 

‘मैं हेमंत सोरेन, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि जो विषय राज्य के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जायेगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूँगा।’ 

किसी झारखंडी बेटे के लिए यह जिम्मेवारी भरे 148 शब्द के मायने, झारखंडियत को लेकर नया संदेश है कि जिन तमाम झारखंडियत मूल्यों को तार-तार करते हुए झारखंड वासियों के हितों से जुड़ी तमाम चीजों को हाशिए पर धकेल दिया गया था, उन तमाम जनविरोधी नीतियों पर झारखंडी भावनाओं की बेबसी के लिए नया जीवन  है। 

मसलन, सरकार गठन के दिन, 29 दिसंबर 2019 को मंत्रिपरिषद की पहली ही बैठक में हुए नीतिगत फैसले हेमंत सरकार को झारखंडियत के पहरुआ होने की मुहर लगाती है। सीएनटी/एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध करने वाली पत्थलगड़ी आन्दोलन के क्रम में आन्दोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया जाना। राज्य सरकार में विभिन्न विभागों की रिक्तियों को यथाशीघ्र भरने की कवायद, महिलाओं तथा अवयस्कों के विरुद्ध हो रहे अत्याचार पर प्रत्येक जिला में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करते हुए न्यायिक पदाधिकारियों के आवश्यक पदों के सृजन करने का निर्णय लिया जाना।

सभी जिला के उपायुक्त तमाम प्रकार के अनुबंध कर्मियों, छात्रवृत्तियां व पारा शिक्षकों से संबंधित सभी लंबित भुगतान पूर्ण कराने का आदेश दिये जाने लेकर जिलों में गरीब एवं पात्र व्यक्तियों के बीच कंबल, ऊनी टोपी वितरण का कार्य संपन्न कराने लेकर सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था तक के आदेश दिया जाना पुष्टि करता है कि नयी सुबह की यह शुरुआत भर है।

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