भूख हड़ताल में बैठी आंगनवाड़ी बहनों की हालत बदतर… 

झारखंड में कार्यरत आंगनवाड़ी कर्मी व सहायिका समूह की बहनें, अपने घरों व बच्चों को बिलखते छोड़ दयनीय स्थिति में, अपनी मांगों को लेकर महीने भर से राजभवन के निकट जुझारू संघर्ष कर रही थी। सरकार द्वारा उनकी सुध नहीं लिए जाने से वे अंतिम विकल्प के तौर पर सप्ताह भर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ यमराज के द्वार को खटखटा रहीं है।  लेकिन राज्य की रघुवर सरकार के पास राज्य कि इन मरती बहनों के लिए वक़्त नहीं है। यही नहीं भूख से बीमार हो रही इन बहनों को कोई ठोस मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। इन बहनों के धरना स्थल पर न ग्लूकोज की सुविधा है और ना ही यहाँ की सफ़ाई करवाई जा रही है, यहाँ तक कि इन्हें उपलब्ध कराए गए शौचालाय की सफ़ाई हो रही है। कुल मिलकर कहा जाए तो इन्हें पूरी तरह से मरने के लिए सरकार ने छोड़ दिया है।    

आंगनवाड़ी सेविकाओं की यह हालत जब राज्य के नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन से देखा नहीं गया तो वे बदलाव यात्रा के कार्यक्रम को एक दिन स्थगित कर उनके पास पहुंचे। उनके पहुँचने से महिलाओं में जैसे जान आ गयी। वह रो-रो कर उनसे अपनी व्यथा सुनाने लगी, उनकी व्यथा सुन श्री सोरेन भी रो पड़े। एक बीमार बहन ने अपनी व्यथा को सुनाने के लिए उठने का प्रयास किया तो वह बेहोश हो ज़मीन पर गिर पड़ी। आनन-फानन में खुद हेमंत सोरेन ने अपने अंगरक्षकों के मदद से उन्हें उठा एम्बुलेंस में लिटा कर अस्पताल भेजा। उनकी स्थिति यह थी कि उनसे बोला भी नहीं जा रहा था और बहने उनसे कुछ बोलने की बार-बार गुज़ारिश कर रही थी। अंततः अपनी बहनों के पुकार पर उन्हें बोलना पड़ा, अपने वक्तव्य में उन्होंने बहनों को ढांडस बढ़ाते हुए कहा की वे उनके साथ हैं। उन्होंने अपने आन्दोलनकारी बहनों को ज़रूरी सुविधाएं भी उपलब्ध करवायीं।

श्री सोरेन ने मंच से सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इन बहनों व इनके बेसहारा परिवारों के सदस्यों को कुछ हुआ तो वे सरकार का जीना हराम कर देंगे। साथ ही उन्होंने इनको यह आश्वासन दिया किया यदि यह सरकार इन्हें इनका हक नहीं देती है तो उनके सरकार में आते ही मांगे पूरी करेंगे। 

बहरहाल, हर बीते दिन के साथ भूख हड़ताल पर बैठी इन बहनों की संख्या बढ़ती जा रही है और हालत बदतर होती जा रही है। इन बहनों ने सरकार के हर दरवाज़े पर अपनी बात पहुँचायी, इसके बावजूद सरकार इन हड़तालकर्मियों की कोई सुध लेने के बजाय चुनावी दौरे में व्यस्त है। सरकार के उदासीन रवैये में कोई फर्क नहीं आता देख अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठना मुनासिब समझा है। इस आंदोलन में भी आंगनवाड़ी कर्मचारियों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः झारखण्ड खबर तमाम मानवतावादी विचार रखने वालों से गुज़ारिश कर रही है कि अपने बहनों के दुःख से हेमंत सोरेन की तरह खुद को इसलिए भी जोड़े कि यह सेविकाएँ आपके बच्चों को पालती है, आपके बच्चों को पोलियो मुक्त किया। इन गरीब बहनों की सहायता करते हुए आव़ाज को मजबूत करें ताकि बहरी हो चुकी सरकार को कुछ तो सुनायी पड़े।  

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