भूख से मौत इक्कीसवीं सदी में होना सरकार की नाकामी : पंकज प्रजापति

चतरा, कान्हाचट्टी के डोडेगड़ा गांव में झींगुर भुइयाँ की भी मौत भूख से हों गयी थी। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष पंकज कुमार प्रजापति ने वहाँ का दौरा किया और मृतक की पत्नी को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराया। दौरे के दौरान घटनास्थल से प्राप्त जानकारियों में पाया कि मृतक के घर मे अनाज का एक भी दाना नही था। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार के दबाव में प्रशासनिक अधिकारी इस भूख से हुई मौत को बीमारी से हुई साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है। भाजपा की रघुबर सरकार नारा तो सबका साथ-सबका विकास का देती है, लेकिन मुख्य रूप से वह पूँजीपतियों के साथ मिलकर ग़रीबों के विनाश पर आमादा है।

श्री प्रजापति ने सरकार से सवाल पूछा है कि आखिर किन परिस्थितियों में सरकारी तंत्र द्वारा मृतक का राशनकार्ड नही बनाया गया था। क्यों सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला आवास और शौचालय तक मृतक को नही मिले। परिस्थितियां स्पष्ट करती है कि मौजूदा सरकार केवल कोरे दावे करने व काग़जी विकास दिखावे में मशगूल है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है की यह सरकार आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए घबराई हुई है। इसी वजह से अपनी नाकामी छुपाने व अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपने झूठे विकास की महिमामंडन करने के लिए राज्य में भूख से होनेवाली मौतों को बीमारी से हुई साबित करने पर तुली हुई है। भाजपा के स्थानीय विधायक और सांसद को आज इन मौतों से कोई लेना देना नही है पर झामुमो अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में पीछे नही रहेगी।

प्रजापति जी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि प्रभावित परिवार को समय रहते इंसाफ नही मिला तो झामुमो सड़क पर उतरते हुए विरोध की आवाज़ बुलंद करेगी! झामुमो जिला अध्यक्ष ने चतरा उपायुक्त से मिल मामले की निष्पक्ष जांच करने का मांग की है। उन्होंने यह भी कहा अगर 21वीं सदी में भी राज्य में भूख से मौतें होती है तो यह सरकार की सरा सर नाकामी है। 

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