पहली बारिश ने ही सरकार के स्वच्छ भारत अभियान का असलियत बयान कर दी 

झारखंड राज्य कि दशा यह है कि इस राज्य के गरीब जनता को गर्मी में लू के थपेड़े पड़ते हैं, बारिश में नाले का सड़ा हुआ पानी घर में घुसता है और जाड़े में तो जाने कितने अभागों की मौत बस इसलिए हो जाती है कि उनके पास कोई चारा ही नहीं रहता। इस बार भी पहली बारिश ने राजधानी रांची के नगर विकास और नगर निगम के सारे दावों की पोल खोल दी है  

सरकार के अलावा नगर विकास और नगर निगम के अफसरों ने तीन वर्ष पहले ही रांची को स्मार्ट सिटी में बदलने का वादा किया था। लेकिन मानसून की पहली बारिश के आगाज भर ने इनके स्मार्ट सिटी के दावों पर पानी फेर दिया है पूरी रांची तो दूर इसका एक मुहल्ला भी स्मार्ट नहीं बन सका है। शहर में मात्र 16 मिमी बारिश ने हालात यह कर दी है कि यहाँ के नालियों, सड़कों से लेकर मुहल्ले तक तालाब बन गये हैं। जबकि नगर निगम पिछले तीन माह से जलजमाव वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर रोड व नालियों बनवाने का दावा कर रही थी। 

कांके रोड के नगर निगम कार्यालय की बाउंड्री से ठीक पहले स्थित जगतपुरम कॉलोनी हल्की बारिश में ही पूरी तरह तालाब में तब्दील हो गई है। बच्चे स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं। अलकापुरी का पूरा मुहल्ला जलमग्न हो गया। नाली जाम होने गंदगी रोड पर फैल गई। कांटा टोली चौक तो कीचड से भरा हुआ है, दुर्घटना तक हो रही है। हालात नहीं सुधरे ताे यमुना नगर, मधुकम, पिस्कामोड़-पंडरा रोड, काजू बागान,  अपर बाजार, नउवा टोली समेत 10 से अधिक मुहल्ले डूबेंगे।

बहरहाल, स्वदेशी का राग अलापने वाली भाजपा सरकार के स्वच्छ भारत अभियान का असलियत यहीं पर जनता के सामने आ चुकी है। साफ़-सुथरी जगह पर झाड़ू लेकर फ़ोटो खिंचा लेना एक बात है और हर रोज़ गन्दगी, बदबू, सड़ान्ध से जूझ रहे जनता को सुविधाएँ प्रदान करना दूसरी बात है। 

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