सुदेश महतो और आजसू का कहीं भाजपा में विलय न हो जाए

सुदेश महतो और आजसू का  भाजपा में विलय के संकेत

आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो अपनी डूबती नैय्या को किनारे लगाने के मकसद से स्वराज स्वभिमान यात्रा पर निकले हैं। जबकि दिलचस्प यह है कि,झारखंडी स्मिता के स्वभिमान पर बट्टा लगाने वाले और कोई नहीं इनके ही मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी हैं। परन्तु झारखंडवासियों द्वारा इसे कोई तवज्जो न मिलने का कारण शायद इनकी यह दोहरी नीति हो सकती है। जनता इनके पिछले चार साल के क्रियाकलापों से भली भांति अवगत हो चुकी है। सुदेश महतो का सत्ता में रहकर सत्ता का विरोध करने वाला फंडा झारखंडी जनता को दुबारा झांसे में लाने में असफल हो रही है और इनका यही सत्ता मोह आजसू पतन का कारण सुनिश्चित कर चुका है।

यदि 2014 के बाद से आजसू के राजनीतिक प्रदर्शन पर गौर करें तो इस बात को नहीं नकारा जा सकता है कि इनकी पार्टी जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है, इसके अलावे सुदेश जी का भी पोलिटिकल कैरियर भी एक गुजरे जमाने सा हो गया है। 2014 लोकसभा चुनाव में सुदेश महतो रांची लोकसभा क्षेत्र से बुरी तरह ध्वस्त होने के बाद, उसी वर्ष नवंबर–दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का दामन थामकर भी इन्हें जीत का स्वाद चखना नसीब न हुआ। हालांकि भाजपा आजसू के बिना सरकार बना सकती थी फिर भी गठबन्धन धर्म निभाते हुए इनके नेता चन्द्रप्रकाश चौधरी को मंत्रिमंडल में जगह दे दी।

अब इसके बाद की स्थिति तो सरेआम हो चुकी है, सुदेश महतो और उनकी आजसू पूरी तरह भाजपा के रहमोकर्म पर आश्रित हो चुकी है। लेकिन सिल्ली में हुए उपचुनाव में एक बार फिर करारी शिकस्त खाने के बाद ये सवाल उठने लगा है कि आगामी 2019 के चुनाव सुदेश महतो अपने बल बूते जीत पाएंगे या नहीं? ऊपर से स्वराज स्वभिमान यात्रा के खोते प्रभाव ने इनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं, ऐसी स्थिति में शायद आजसू के पास भाजपा में विलय होने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है।

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