अब हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी एनएच-33 की घोटाले की जाँच

 

झारखण्ड के विपक्षी दलों द्वारा रविवार को एनएच-33 पर गड्ढों में पौधरोपण वाले मामले के प्रकाश में आने के बाद भी यहां की सरकार को बड़े-बड़े गड्ढे नहीं दिखे हैं। साथ ही रांची के अलावे पूरे राज्य की परिवहन व्यवस्था की चौपट स्थिति के कारण राज्य में बढ़ती हुई सड़क दुर्घटनाओं से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा है। अंततः झारखंड हाईकोर्ट को झारखण्ड के परिवहन व्यवथा के दो मामलों में संज्ञान लेना पड़ा।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च नयायालय ने कहा कि रांची की ट्रैफिक व्यवस्था में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। हर दिन शहर में जाम लगा रहता है। नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस भी इस संदर्भ में गंभीरता नहीं दिखा रही है। साथ ही सरकार को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि रांची की यातायात व्यवस्था हर हाल में सुगम होनी चाहिए। अदालत ने जिला प्रशासन, नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग को इस बाबत छह सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ट्रैफिक को सुव्यवस्थित करने की दिशा में कोर्ट ने कई बार निर्देश दिया है, परन्तु इस पर किसी प्रकार का असर अबतक देखने को नहीं मिला है। शहर के मुख्य मार्गों पर निरंतर जाम लगता है, कभी-कभी तो पूरे दिन ही शहर में जाम लगा रहता है। इस स्थिति को बदलना होगा।

तो वहीं जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की खंडपीठ ने रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की दयनीय स्थिति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस मामले के अंतर्गत सड़क निर्माण में हुए खर्च की जांच सीबीआई को करने का आदेश दिया। साथ ही इसकी जाँच रिपोर्ट सीबीआई को तीन महीने के भीतर कोर्ट को सौंपने का आदेश भी दिया। इस रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्यवाही की जायेगी। इससे पहले की हुए सुनवाई में न्यायालय द्वारा मौखिक तौर पर कहा गया था कि, रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग का फोर लेनिंग कार्य शीघ्र पूरा होना चाहिए क्योंकि यह मार्ग राज्य की लाइफलाइन है। इसके लिए न्यायालय ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) को गंभीर होने को कहा था।

हाई कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार एजेंसी (एसएफआइओ) के द्वारा की गयी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी गयी। एसएफआइओ की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के अनुसार बैंकों द्वारा प्राप्त रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) निर्माण मद की राशि को किसी दूसरे मद में खर्च किए जाने का जिक्र है। एजेंसी की जांच रिपोर्ट में निर्माण राशि में भी गड़बड़ी की बात बताई गयी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी द्वारा सड़क निर्माण के नाम पर बैंक से मिली राशि को अपने दूसरे खातों में हस्तांतरित किया – जो की वित्तीय गड़बड़ी है, इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए।

बहरहाल, रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग- 33 का फोर लेनिंग कार्य 4 वर्ष में पूरा होना था लेकिन 7 वर्ष गुजर जाने के बावजूद आज तक यह कार्य अधूरा पड़ा है। इसकी दयनीय स्थिति को झारखंड के उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए 2014-2015 में जनहित याचिका में बदल दिया था।

सड़क का निर्माण करने वाली मधुकॉन की अनुषंगी कंपनी रांची एक्सप्रेस वे ने पिछले वर्ष अगस्त में कोर्ट को दिए अपने अंडरटेकिंग में बताया था कि जुलाई 2018 तक 128 किमी लंबी एनएच-33 का निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा। लेकिन सचाई यह है कि यह निर्माण कार्य अब भी अधूरा ही पड़ा हैं। ज्ञात हो कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रतिदिन 7000 से अधिक वाहन का आवागमन हैं। इतनी अधिक मात्रा में आवागमन होने से तथा सड़क के खराब होने के कारण यह मार्ग अधिकांश जाम ही रहता है। कारणवश इस सड़क पर दुर्घटनाओं का दर भी बढ़ा है। अबतक हुई दुर्घटनाओं में 1000 से अधिक लोग घायल हुए है और 500 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। झारखण्ड उच्च न्यायालय इसके आलोक में अब तक 37 आदेश पारित कर चुकी है परन्तु विडम्बना यह है कि सरकार इस गंभीर परिस्थिति पर आंख मुंदी हुई है।

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