झारखण्ड में भूमि अधिग्रहण और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ महाबंदी असरदार

झारखण्ड में राज्य  सरकार  द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पास कराने तथा दबाव बनाकर राष्ट्रपति से अनुमोदित कराने के विरोध में  झारखण्ड मुक्ति मोर्चा और झारखण्ड के तमाम विपक्षी पार्टियों ने चरणबद्ध आंदोलन का बिगुल फूंका है।  इसी कड़ी में 5 जुलाई को संपूर्ण झारखंड महाबंद बुलाया गया।

यह अधिग्रहण संशोधन झारखंडी आदिवासी एवं मूलवासी के लिए अहितकारी तो है ही साथ में इसे रघुवर सरकार द्वारा यहाँ की जनता के अधिकारों के हनन की दिशा में संदेहास्पद कदम माना जा रहा है। इस अधिग्रहण से किसानों एवं रैयतों का अस्तित्व मिट जाने का खतरा बढ़ गया है। झामुमो नेता, बिनोद विश्वकर्मा का कहना है कि केंद्र एवं झारखंड की रघुवर सरकार आज देश में केवल पूंजीपतियों की सरकार बनकर रह गई है।  मजदूर, किसान, निम्न वर्गीय एवं मध्यमवर्गीय परिवारों और छोटे व्यापारियों का तो जीना भी दूभर हो गया है।

बीजेपी सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण में संशोधन से किसान एवं छोटे रैयतों को काफी परेशानी हो रही है। यह सरकार केवल विकास का राग अलाप कर अपने चहेते पूंजीपतियों को यहाँ के गरीब आदिवासियों एवं मूलवासियों की ज़मीन ज़बरन कोड़ियों के भाव लुटाने की पूरी तैयारी कर चुकी है। रघुवर सरकार की इसी मंशा को मटियामेट करने के लिए यह महाबंदी बुलाई गयी है। पूरे झारखंड में इस अधिग्रहण कानून का पुरजोर विरोध हो रहा है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा एवं संपूर्ण विपक्ष के आह्वान पर हुआ यह महाबंद काफी प्रभावी देखा जा रहा है।

झारखण्ड की राजधानी राँची में लोग इस मानवतावादी महाबंदी को अपना समर्थन देते दिख रहे हैं। उन्होंने अपनी दूकाने स्वतः ही बंद रखी है जो कि एक सराहनीय कदम है। यहाँ के मुख्य स्थानों जैसे फिराएलाल, लालपुर, कांके रोड, मोरहाबादी, रातु रोड़,बाईपास, मैंने रोड, काँटाटोली इत्यादि जगह की दूकाने बंद देखी गयी।

राँची महाबंदी की तस्वीरें

राजधानी राँची के अलावा अन्य जिलों में भी इस बंदी का जोरदार असर देखा जा रहा है। गिरिडीह जिले एवं वहां के अन्य प्रखंडो तक इस बंदी का सबसे ज्याद असर देखा जा रहा है। समर्थक सुबह से इस मुहीम में जोर-शोर से जुड़े हुए हैं।

गिरिडीह महाबंदी की तस्वीरें

दुमका, पाकुड़ एवं साहेबगंज में भी महाबंदी का असर जोरदार एवं सफल रहा।

दुमका, पाकुड़ एवं साहेबगंज की तस्वीरें

चायबासा में भी बंदी का असर जोरदार रहा।

चायबासा बंदी की तस्वीरे

इनके साथ-साथ झारखण्ड राज्य के तमाम जिले जैसे गोड्डा, देवघर, धनबाद, बोकारो, कोडरमा, आदि से जोरदार महाबंद की एवं समर्थको, कार्यकर्ताओं द्वारा खुद ही अपनी गिरफ्तारी देने की ख़बरें आ रही है। कोई-कोई स्कूलों में तो एक दिन पहले ही छुट्टी दे दी गयी थी। इसका इतने व्यापक स्तर पर सफ़ल बने रहना का श्रेय हर एक झारखंडी को जाता है, जो इस दमनकारी सरकार से त्रस्त है और उनकी नीतियों के दुष्प्रभाव से अपने आप को कुंठित महसूस कर रहे हैं।

 

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