old pension -झारखण्ड के कर्मचारियों को मिली पुरानी पेंशन की सौगात

old pension jhakhand : भाजपा जनविरोधी नीतियों के बीच राज्य के कर्मचारियों को यह सौगात मुख्यमंत्री पद को दाव पर रख कर दिया गया है. हेमन्त सोरेन ने स्पष्ट तौर पर मुख्यमंत्री पद के बजाय जन कल्याण का पक्ष लिया है.

रांची : हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड कर्मचारियों से ओल्ड पेंशन (old pension) स्कीम पुनर्बहाल करने का अपना वादा 1 सितंबर 2022 को पूरी कर दी है. जो न केवल भाजपा आइडियोलॉजी की राजनीति को लोकतंत्र का आईना दिखाती है. जन-गन के अधिकार संरक्षण में दिसुम गुरु शिबू सोरेन सरीखे बहुजन नेताओं के विचारधारा में व्याप्त बहुसंख्यक आम आबादी के लिए जन कल्याण की स्पष्ट व्याख्या भी करती है. 

दरअसल, केंद्र की भाजपा सरकार के निजीकरण की बड़ी लकीर के अक्स में, ओल्ड पेंशन स्कीम पुनर्बहाल हेमन्त सरकार के संघर्ष दर्शाता है. मसलन, स्पष्ट शब्दों मे कहें तो भाजपा जन विरोधी नीतियों के बीच राज्य के कर्मचारियों को यह सौगात मुख्यमंत्री पद को दाव पर रख कर दिया गया है. जिसके तहत निश्चित रूप से हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री पद के बजाय जन कल्याण का पक्ष लिया है.  बहुसंख्यक आम आबादी को इसे समझना होगा और ऐसी विचारधारा को उन्हें बचाना होगा.

मुख्यमंत्री की विचारधारा व नीतियां old pension जैसे जन अधिकार संरक्षण की करती है वकालत

बतौर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन कई मंचों से स्पष्ट कहा है – सरकारी कर्मी समाज का अभिन्न अंग बन, सरकारी योजनाओं और नीतियों को धरातल पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. राज्य के विकास में इनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. अतः ऐसे कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा (old pension) मिलन इनका अधिकार है. इनका बुढ़ापा संरक्षित होना ही चाहिए. तभी ए पूरी गंभीरता से जन कार्य कार पाएंगे. और इनकी समस्याओं का समाधान सरकार आगे बढ़ कर करेगी.

ज्ञात हो, राज्य के पारा शिक्षक-आंगनबाड़ी कर्मियों की समस्याओं का निदान भी इसी सरकार में ही होना, दर्शाता है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की विचारधारा व नीतियां बहुसंख्यक आम आबादी के हितों की वकालत प्रथम पायदान पर खड़ा हो कर करती है. मसलन, मुख्यमंत्री का old pension स्कीम पुनर्बहाल करने का संवेदनशील प्रयास न केवल राज्य के के कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, देश भर के कर्मचारियों के संघर्ष को भी बाल देगा.

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