झारखण्ड : पूर्व की सरकारों के गलत जल प्रबंधन नीतियों का दंश राज्य को झेलना पड़ा रहा है. इस भरपाई में हेमन्त सरकार काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. मनरेगा आयुक्त ने हाई इंपैक्ट मेगा वाटर शेड की समीक्षा की.
रांची : जल प्रबंधन के अक्स में झारखण्ड पूर्व की सरकारों की गलत नीतियों अभिशाप न केवल पेयजल के क्षेत्र में झेल रहा, कृषि और किसानी को बड़ा नुक्सान उठाना पड़ा है, हेमन्त सरकार को इसके भरपाई में काफी जद्दोजहद करना पड़ रहा है. एक तरफ खनन क्षेत्रों मन बेतहाशा व बेपलानिंग लूट के अक्स में भूमिगत जलस्रोत का नुकसान हुआ तो दूसरी तरफ शहरों में बाहरियों के द्वारा ज़मीन लूट और अवैध निर्माण से भूमिगत जलस्रोत काफी नीचे चला गया है.
इस दिशा में हेमन्त सरकार के द्वारा सात जिलों के 24 प्रखंडों में हाई मेगा वाटरशेड प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. योजना का उद्देश्य बेहतर जल प्रबंधन कर भूमि की नमी और गुणवत्ता को बढ़ाना है, ताकि कृषि व बागवानी के कार्यों को विस्तार दिया जा सके और किसानों के लक्ष्य को मुकाम तक पहुंचाया जा सके. इस सन्दर्भ मनरेगा आयुक्त ने समीक्षा बैठक कर योजना से जुड़े बिदुओं और क्रियान्वयन की जानकारी ली.
ज्ञात हो यह योजना हेमन्त सरकार के अथक प्रयासों द्वारा केंद्र से लायाजा सका है. योजना को भारत सरकार की संस्था भारत रूरल लाइवलीहुड्स फाउंडेशन (बीआरएलएफ) के माध्यम से संचालित हो रही है. इन सात जिलों में गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, दुमका और गिरिडीह के कुल 24 प्रखंडों शामिल है. इस तहत कुल 696 वाटरशेड लगना है. इससे 3 लाख 39 हजार हेक्टेयर भूमि का उपचार हो सकेगा और लगभग एक लाख किसानों की दोगुनी आय के लक्ष्य को साधा जा सकेगा.