झारखण्ड : आदिवासी, आरक्षण, खजाना, शिक्षा को ख़त्म करने वाले बीजेपी व आजसू का मौजूदा हेमन्त सत्ता पर राज्य को सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक रूप से खोखला करने का आरोप मिथ्या व भ्रम.
रांची : झारखण्ड राज्य में पूर्व के सरकारों के मकड़जाल में राज्य सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक रूप से हासिये पर जाने का इतिहास सामने है. ज्ञात हो, अलग झारखण्ड में अधिकाँश सत्ता बीजेपी की रही है और हर सरकार में किसी न किसी रूप आजसू की प्रत्यक्ष भागीदारी भी रही है. इस लम्बी अवधि में राज्य में आदिवासी व दलित समेत तमाम मूलवासी वर्गों का विस्थापित हो पलायन करने का सच सामने है.
मानव तस्करी के रूप अधिकाँश महिलाओं का शोषण हुआ. सीएनटी/एसपीटी समाप्त करने की शाजिश हुई. राज्य के आदिवासी, मूलवासी व किसानों की ज़मीन लूट हुई. बेजुबान आदिवासियों का शोषण नक्सल के आड़ में हुआ और सरना बिल की मांग खारिज होती रही. खनीज-संपदा का दोहन हुआ. स्कूलों को बंद कर मूलवासियों को शिक्षा से दूर किया गया. न केवल स्कॉलरशिप बंद हुए मूलवासी खिलाड़ियों के साथ नौकरों सा व्यवहार हुआ. बेटियों के न्याय के बदले दुत्कार मिली.
पूर्व की सरकारें एक 6ठी जेपीएससी तक पूरी नहीं हुई. स्थाई नौकरी बाहरियों को और मूलवासियों के लिए अनुबंध रूपी बंधुआ मजदूरी. राज्य के राजनीति में विधायकों की ख़रीद विक्री की परम्परा की शुरुआत हुई. पिछड़ों के आरक्षण समाप्त हुए. राज्य पर कर्ज बढ़ा और खजाना खाली हुआ. यह सब पूर्व की बीजेपी सरकारों में आजसू की मिलीभगत में हुई. ऐसे में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो का कहना कि मौजूदा सत्ता में राज्य सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक रूप से खोखला हो रहा है केवल भ्रम फैलाना नहीं तो और क्या हो सकता है.