मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सत्ता में जन विरोध की आवाज़ को मिलती है जगह

झारखण्डी युवाओं आपने सत्ता परिवर्तन किया है. आपको पूर्ण अधिकार है कि आप चाबुक फटकार कर सरकार तक अपने आक्रोश को अभिव्यक्त करें परन्तु आपसे विनम्र आग्रह है कि आप इन अवसरवादी नेताओं से भी सचेत रहें. माननीय मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी ने 2021 को नियुक्तियों का वर्ष घोषित किया है, अभी छः माह शेष हैं. आप अधीर न हों यह ‘जुमला’ नही, हमारी शपथ है.” माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर वायरल हो रहा ये मैसेज लिखा है, गिरिडीह से झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने. इस ट्वीट के वायरल होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है. झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का इस ट्वीट को रिट्वीट करना.

सोशल मीडिया सहित राजनैतिक गलियारे में यह बात बड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है कि रोजगार की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार #Jharkhandi_Yuva_Mange_Rojgar ट्रेंड कराया जा रहा है. यह ट्रेंड हर तरह से झारखण्ड सरकार को घेरने के लिए चलाया जा रहा है. लेकिन, बावजूद इसके झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के एक विधायक, इस ट्रेंड को लेकर ट्वीट करते हैं जो कि रोजगार की मांग करने वाले युवाओं के विरोध को सही साबित करते हुए, उनके विरोध के अधिकार का पुरजोर इस्तेमाल करने की वकालत करता है. इसके कुछ देर बाद राज्य के मुखिया हेमन्त सोरेन इस ट्वीट को अपने हैंडल पर प्रोमोट करते हैं.

मतलब साफ था, सरकार ने यह साफ कर दिया कि विपक्ष में बैठी भाजपा कितनी भी कोशिश कर ले यह सरकार हर किसी के अधिकारों का ख्याल रखने का अपना वादा कभी नहीं भूलेगी. फिर वो चाहे जनता के विरोध का अधिकार ही क्यों न हो. अगर लोकतांत्रिक परिपाटी को ताकत देने की नौबत आएगी तो सरकार विरोध को विरोध की तरह नहीं बल्कि मशविरे के तौर पर लेगी.

महामारी के कारण झारखण्ड सरकार को सभी परीक्षाओं का आयोजन भी पड़ा रोकना

इस ट्रेंड के पीछे कौन लोग हो सकते हैं, यह सर्वविदित है. जाहिर है कोविड महामारी की वजह से जारी लॉकडाउन के कारण झारखण्ड सरकार को सभी परीक्षाओं का आयोजन भी रोकना पड़ा. स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह की घोषणा से पहले कई दफे मुख्यमंत्री ने सर्वदलिय बैठक किए, नेताओं, विधायकों, जनप्रतिनिधियों से बात की. सभी के सुझाव के बाद मुख्यमंत्री ने जमीनी हकीकत का आकलन करते हुए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह की घोषणा की थी. इसका असर हुआ कि 4 वर्षों से अटके जिस जेपीएससी परीक्षा को एक साथ कराने का नोटिफिकेशन जारी किया गया था, उसे टालना पड़ा. जो कि एक मजबूरी थी. झारखण्ड सहित पूरा देश कोरोना महामारी की चपेट में था.

वापस, मामले पर लौटते हैं. मामला था, झारखण्ड में रोजगार की मांग कर रहे युवा. ट्विटर पर ट्रेंड. विधायक सुदिव्य सोनू के ट्वीट की पूरी थ्रेड को पढ़ें तो उन्होंने साफ – साफ लिखा है कि सरकार ने 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है. अभी वर्ष खत्म नहीं हुआ है. अभी पूरे छः महीने बचे हैं. हमारा वादा कोई जुमला नहीं, हमारा संकल्प है. जिसे हमारी सरकार पूरा करेगी. जिसे मुख्यमंत्री ने भी स्वीकार करते हुए अपने ट्विटर पेज पर जगह दी.

आखिर क्यों यह मामला महत्वपूर्ण है?

आपका एक सवाल हो सकता है. आखिर क्यों ये मामला इतना महत्वपूर्ण है. एक ट्वीट की चर्चा क्यों. दरअसल, यहां मामला एक ट्वीट का नहीं बल्कि देश में चल पड़ी उस नई परिपाटी का है जिसमें सत्तापक्ष किसी भी प्रकार के विरोध को दबाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. उत्तर प्रदेश का उदाहरण दें तो कोरोना काल में सरकार की कमियों के बारे में ट्विटर पर लिखने वाले लोगों के खिलाफ मुख्यमंत्री ने यूएपीए के तहत केस करने का आदेश दे दिया. केन्द्र सरकार ट्वीटर के खिलाफ नोटिस भिजवाने के लिए दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की पूरी टीम को लगा देती है. और अगर केन्द्र सरकार की पार्टी से वास्ता रखने वाले नेताओं के ट्विट को ट्विटर अगर फेक बताने की जुर्रत करता है तो वो ट्विटर पर अपना कंट्रोल बढ़ाने के लिए नियमों में ही बदलाव कर देते हैं. ऐसे माहौल में अगर एक मुख्यमंत्री अपने विरोध में उठ रही आवाज को अपने दस्तरखान पर जगह देता है. उस पर विमर्श करता है, उसे सलाह के तौर पर लेता है तो समझा जाना चाहिए कि राज्य सही हाथों में है.

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