रोजगार मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री अपने विधायक के जायज विचारों के साथ मजबूती से हुए खड़े

मौजूदा दौर में जब विधायक-संसद भक्ति में डूबे हैं, तो वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री अपने विधायक के जायज विचारों के साथ मजबूती से खड़ा हो, देश की राजनीति को पढ़ाया लोकतंत्र का पाठ. साथ ही युवाओं के अधीर मन को भी किया शांत 

अन्तरराष्ट्रीय ऑनलाइन समाचार पत्रिका ‘द कन्वर्सेशन’ की रिपोर्ट खुलाशा करे कि कोरोना महामारी से निपटने के मामले में, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, व‍िश्वगुरू भारत की स्थिति दुनिया में सबसे ख़राब रही. और वह रिपोर्ट यह भी बताये कि भारत सरकार की मूर्खता, लापरवाही और जान की अनदेखी के कारण मुल्क में महामारी ने भयंकर जानलेवा रूप लिया. चेतावनियों को अनसुना किया, महामारी को गम्भीरता से नहीं लिया, विज्ञान की अवहेलना की और महामारी से लड़ने के लिए अनिवार्य स्वास्थ्य सुविधाओं और ज़रूरी क़दमों पर ध्यान नहीं दिया.

महत्वपूर्ण यह भी नहीं है क्योंकि परिस्थितियों से जनता दो-चार हुई है. महत्वपूर्ण यह है कि राज्यों की भाजपा इकाई जनता के साथ खड़ा होने का दिखावा तो कर रही है. लेकिन केन्द्रीय सत्ता से सवाल न कर, वह महामारी से जूझ रहे राज्य सरकारों को अस्थिर करने के प्रयास में है. शायद उनका ऐसा करने के पीछे की वजह मोदी सरकार के नीतियों से जनता में व्याप्त गुस्से को राज्य सरकारों की ओर डाइवर्ट करने का प्रयास भर है. देश को अचंभित भी नहीं होना चाहिए. क्योंकि, इसी विचारधारा के नीव पर तो भाजपा-संघ की राजनीति खड़ी देखी गयी है. 

क्या राज्य के भाजपा इकाइयों का राज्यों को महामारी में मदद करना साजिश का हिस्सा था 

इसका स्पष्ट उदाहरण झारखंड में देखी जा सकती है. जहां झारखंड की भाजपा इकाई राज्य के युवाओं को, संकट काल में रोजगार न दे पाने के नाम पर हेमंत सरकार के खिलाफ भड़काती देखी जा रही है. जिससे यह स्पष्ट होता है कि पूरा राज्य जब संक्रमण से जीवन रक्षा को गंभीर था. तब भी झारखंड भाजपा राज्य सरकार को मदद करने के आड़ में सत्ता तक पहुँचने की साजिश रच रही थी. और साथ ही मोदी सरकार की नीतियों से देश में उत्पन्न समस्याओं को राज्यों के मत्थे मढने की जुगत भी भिड़ा रही थी. 

ज्ञात हो, केंद्र की नीतियों से देश त्राहिमाम है. महामारी में केंद्र ने पहले राज्यों को उसके भरोसे छोड़ दिया. फिर दीपक प्रकाश सरीखे प्रदेश अध्यक्षों ने राज्य को लोकडाउन के लिए प्रेरित किया. उसके नेता कार्यकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा राज्य हित में लिए गए निर्णयों को स्थगित कर, स्वास्थ्य सुविधा को प्राथमिकता देने की मांग की. जब सरकारें स्वास्थ्य सुविधा मुहैय्या कराने में व्यस्त है. तो राज्य की भाजपा इकाई बड़े चालाकी से युवाओं को रोजगार के नाम बहकाने का प्रयास करती दिख रही है. 

झारखंड में भाजपा के मनसूबे पर झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार ने फेरा पानी

गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार के ट्वीट ने भाजपा के मंसूबों पर फिर एक बार पानी फेर दिया है. उन्होंने लिखा कि वह ‘हैशटेग झारखंडी युवा मांगे रोजगार’ का पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं. मामला तब और मजेदार हो गया जब राज्य के मुखिया हेमन्त सोरेन ने विधायक सुदिव्य कुमार के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि वह युवाओं द्वारा चलाए जा रहे कैंपेन का समर्थन करते हैं. 

मुख्यमंत्री श्री सोरेन का मानना है कि महामारी के कारण रोजगार के मुद्दे पर सरकार थोड़ी धीमी जरुर रही. लेकिन युवाओं को रोजगार मिलना चाहिए. मसलन, राज्य व देश में पहली बार देखा गया कि जहाँ विधायक मुख्यमंत्री भक्ति में लीन नहीं हैं वहीं एक मुख्यमंत्री अपने विधायक के राज्य हित में जायज विचारों के साथ मजबूती से खड़ा हो लोकतंत्र को परिभाषित कर रहे हैं. 

विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और उनका व्यक्तिव 

विधायक सुदिव्य कुमार सोनू शिक्षा काल में झारखंड आन्दोला से जुड़े. दिशुम गुरु शिबू सोरेन की विचारधारा को जीवन में उतारा. ज़मीनी स्तर की राजनीति कर सीढ़ी दर सीढ़ी विधानसभा के दहलीज पार किए. जन मुद्दों पर मुखर व शोसन के खिलाफ तन कर खड़ा होने वाले नेताओं के फेहरिस्त में खुद को खड़ा किये. हेमंत सत्ता के विधानसभा सत्रों में प्रखरता के साथ राज्य की समस्याओं को, राजनीति से परे जाकर उठाया. ज्ञात हो, गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र में विकास की लकीर खीचने को लेकर जो भूख उनमे दिखती है, गिरिडीह के इतिहास में और किसी में नहीं दिखी. एक-एक कर सारे माप-डंडों को पार कर रहे है. शायद विचारधारा एक होने के कारण ही मुख्यमंत्री उनके साथ खड़े दिखते हैं.

इस दफा भी यही हुआ सुदिव्य कुमार झारखंड के जायज मुद्दों के मद्देनजर युवाओं के कैंपेन के साथ अडिग खड़े हो गए. उन्होंने इमानदारी से सत्य को स्वीकार करते हुए ट्वीट में लिखा कि युवाओं को पूर्ण अधिकार है कि वह चाबुक फटकार कर सरकार से अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति करें. लेकिन अवसरवादिता से ग्रस्त नेताओं से सचेत भी रहें. राज्य 20 बरस बाद ब-मुश्किल आहिस्ता-आहिस्ता अपने मुकाम की तरफ बढ़ रहा है. एक गलती झारखंड के भविष्य को अन्धकार में फिर से धकेल सकती है.

उनके द्वारा युवाओं को याद दिलाया गया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2021 को नियुक्तियों का वर्ष घोषित किया है. और समय बीतने में अभी छह माह शेष बचे है. चूँकि राज्य अभी संकट काल से गुजर रहा है इसलिए थोड़ी देर हो सकती है. उन्होंने दो टुक कहा कि हेमंत सत्ता के वादे जुमला नहीं है. यह उसका कर्तव्य है जिसे सरकार पूरा करेगी. इसलिए राज्य के युवाओं को बहकावे में न आते हुए धीरज रखना चाहिए.

मसलन, राज्य में एक बार फिर बीजेपी की विचारधारा को झामुमो के ज़मीनी आन्दोलनकारी विचारधारा से मात मिली है. जहाँ उसके सारे मनसूबे फिर एक बार धराशाही होते दिखे.

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