झारखण्ड : भाजपा नेत्री की आदिवासी बेटी से बर्बरता के मामले पीएम, गृहमंत्री, ज्ञानी! बाबा श्री श्री निशिकांत! समेत किसी का भी माफीनामा या बयान ना आना भाजपा का आदिवासी समाज के प्रति संकीर्ण सोच दर्शाता है
रांची : झारखण्ड में एक आदिवासी बेटी की आपबीती में मनुवाद का घृणित बर्बरता का पैटर्न साफ तौर पर झलकता है. भारत में बहुजन समाज जात-पात से उत्पन्न त्रासदी को मनुवाद व्यवस्था की देन मानते है. ज्ञात हो, देश में सवर्ण जातियों द्वारा बहुजनों की प्रताड़ना का इतिहास पुराना है. और वर्तमान में भाजपा-संघ की फ़िलॉसफ़ी में यह पैटर्न दिखता है. क्योंकि एससी-एसटी-ओबीसी से संबंधित कई मामलों यह दिखाता है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी अपने वक्तव्य में कहा कि आदिवासियों को अपमानित करना भाजपा की डीएनए में है.
ज्ञात हो, आदिवासी की बेटी के साथ भाजपा नेत्री सीमा पात्रा द्वारा रेयरेस्ट ऑफ रेयर श्रेणी का क्राइम किया गया है. भाजपा नेत्री सीमा पात्रा द्वारा आदिवासी बेटी को बंधक बनाया जाना. जीभ से घर का फर्श साफ करवाया जाना, गर्म तवे से उसकी शरीर को दागा जाना, माल-मूत्र पिलाया जाना, मनुवाद के प्रताड़ित करने की पुराने टूल्स हैं. ऐसे टूल्स का जिक्र स्वयं बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर द्वारा किया गया है. और मानुवाद के ऐसे त्रासदी से बहुजन समाज को बचाने के लिए संविधान में आर्टिकल 15 का प्रावधान किया गया है.
ऐसे जघन्य अपराध करने वाले अधिकांश इन दिनों भाजपा में ही क्यों पाए जा रहे
ज्ञात हो, ऐसे जघन्य अपराध करने वाले अधिकांश लोग इन दिनों भाजपा के दल में ही पाए जा रहे हैं. झारखण्ड के मामले में भी अपराधी भाजपा की ही नेत्री है. संकीर्ण सोच से ग्रसित यह महिला भाजपा की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का प्रदेश संयोजक थी. इसके दो ही प्रमुख कारण हो सकते हैं. या तो भाजपा-संघ में इसकी ट्रेनिंग मिलती है या फिर ऐसे सोच वाले लोगों को ही भाजपा में नेतृत्व करने का मौका मिलता है.
झारखण्ड के ज्ञानी! बाबा श्री श्री निशिकांत दुबे द्वारा भी मामले कोई बयान ना आना भाजपा की संकीर्ण सोच दर्शाता है
इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि हमेशा की भांति न प्रधानमंत्री, ना ही गृह मंत्री और ना ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का ही इस मामले में कोई वक्तव्य आया है. जबकि पार्टी के मुखिया होने के नाते इन्हें देश के आदिवासियों से माफी प्रथम पंक्ति में खड़ा हो माफी मांगनी चाहिए थी. यही नहीं इस मामले में न तो झारखण्ड के ज्ञानी! बाबा श्री श्री निशिकांत दुबेऔर ना ही बाबूलाल मारांडी सरीखे नेताओं का कोई ठोस बयान सामने ना आना भाजपा का आदिवासी समाज के प्रति संकीर्ण सोच दर्शाता है.