बाबूलाल केन्द्रीय हथियार टूल किट का प्रयोग कर रहे हैं झारखंड में 

झारखंड भाजपा के बड़े नेता, केंद्र द्वारा प्रायोजित राजनीतिक हथियार ‘टूल किट’ को झारखंड ले कर आये हैं. और प्रयोग की शुरूआत के मद्देनजर स्वयं बाबूलाल जी राज्य के अफसरों को नसीहत भरी धमकी देने से नहीं चूक रहे.

रांची. सत्ता से बेदखली के बाद प्रदेश बीजेपी नेताओं की सरकार गिराने को लेकर तमाम प्रपंच फेल हो चुके हैं. ज़मीनी मुद्दे के अभाव में, झारखंड भाजपा के बड़े नेता, केंद्र द्वारा प्रायोजित राजनीतिक हथियार ‘टूल किट’ को झारखंड ले कर आये हैं. और प्रयोग की शुरूआत के मद्देनजर स्वयं बाबूलाल जी राज्य के अफसरों को नसीहत भरी धमकी देने से नहीं चूक रहे. ज्ञात हो, बाबूलाल मरांडी ने पहले पुलिस को टूल न बनने की नसीहत दी, कहा, उनकी सत्ता आने के बाद वे उन्हें नहीं छोड़ेंगे. और अब अफ़सरों के लिए भी उनके द्वारा इसी  शब्द का प्रयोग किया गया है. जो न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बल्कि झारखंड के विकास के लिए भी खतरनाक हैं.

ऐसे में बाबूलाल मरांडी को यह बताना चाहिए कि सरकारी तंत्र, सरकारी अफसर सरकार के लिए काम ना करे तो फिर किसके लिए काम करे. “विपक्ष में रहकर अफसरों को केन्द्रीय सत्ता व यह बताकर डराना की उनकी सत्ता आएगी तो ऐसे अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, भले ही ऐसे अफसर रिटायर ही क्यों न हो जाए”. जैसे वाक्य किस लोकतंत्र के भविष्य के लिए कैसे उचित हो सकते हैं. क्या बाबूलाल जी चाहते है कि झारखंड सरकार के अफसर भाजपा-संघ प्रचारकों के लिए काम करे. 

दिलचस्प यह है कि हेमन्त सत्ता को साजिशन गिराने का काम बीजेपी कर सकती है. विधायकों की खरीद-फ़रोख्त जैसे घिनौने कार्य बीजेपी कर सकती है. लेकिन यदि झारखंड पुलिस अपराध को रोके तो उसे बीजेपी, सरकार का टूल किट घोषित कर देती है. सरकारी अफसर सरकारी योजनाओं को नागरिकों तक पहुंचाए, जिसमें प्रवासी नकार दिए जाए, जिस वर्ग पर भाजपा की राजनीति का बुनियाद खड़ा है तो बाबूलाल मरांडी जैसे नेता बिना वक़्त गंवाए यह कहने से नहीं चुकते कि वह सरकारी टूल किट बन चुकी है. मसलन, बाबूलाल मरांडी को बताना चाहिए कि वह कैसे किसी गुंडे का स्वागत कर सकते हैं.

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