कोरोना जैसे महामारी में भी राजनीति करने से नहीं चुक रही भाजपा  

प्रदेश भाजपा इकाई कोरोना जैसे महामारी में भी राजनीति करने करने से बाज नहीं आ रही 

एक तरफ केंद्र की भाजपा सरकार के पास कोरोना जैसे महामारी से लड़ने के लिए कोई उचित तैयारी है। एक तरफ मध्यप्रदेश में अपनी सरकार को बनाने के लिए लोकडाउन में देरी की। फिर बिना  राज्यों के मुख्य मंत्रियों के साथ कोई सलाह-मशवरा किये ही लोकडाउन किया और उन्हें बिना तैयारी के जूझने के लिए छोड़ दिया। साथ ही केंद्र सरकार वैसे राज्य जहाँ भाजपा की सरकार नहीं है उसे सहायता पहुंचाने में भी आना-कानी करते दिख रहे है। झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को तो वहां की राज्यपाल से आग्रह करना पड़ा कि केंद्र राज्य को जो सहायता कर रही है वह न काफी है और कोई संवाद करने का भी मौका नहीं देती है। ऐसे में आप ही केंद्र से आग्रह करें कि वे हमें उचित सहायता प्रदान करें।

यही नहीं राज्यों के भाजपा इकाई व उसके पदाधिकारी ऐसे गंभीर मौके पर भी राज्य सरकार को सलाह व मदद करने के बजाय राजनीति करती दिखती है। जो कोरोना जैसे महामारी की लड़ाई के लिए राज्य सरकार के समक्ष जनता की सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीर परिस्थिति उत्पन्न कर कर सकती है। कभी उनके नेता हिन्दू-मुस्लिम करती दीखती है तो कभी अपनी छवि को साफ़ दिखाने के लिए राज्य सरकार पर आरोप  मढती दिखती है। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है अब तक उनके तरफ से एक भी ऐसा मौका नहीं दिखा जहाँ उन्होंने केंद्र सरकार पर संसाधन मुहैया कराने की आग्रह, अपील या जोर डाला हो। क्या उनका ऐसा करना राज्य के प्रति संवेदनहीनता नहीं दर्शाता है।

झारखंड सरकार अल्प संसाधन में भी अपनी पूरी ताक़त से कोरोना संकट से जूझ रखे राज्य की जनता के सेवा में कैसे लगी हुई है, यह किसी से छुपा नहीं है। न केवल अपने राज्य में इसकी पूरी व्यवस्था कर कर रही है कि कोई भूखा न रहे बल्कि अन्य राज्य में फंसे झारखंडी तक खाना पहुंचाने का कार्य करती दिखती है। ऐसे में  के राँची शहर की भाजपा मेयर आशा लकड़ा द्वारा एक चिट्ठी प्रकाशित कर अखबारों के भीतर डाल कर घर-घर पहुँचाती देखि जा है, जिसमे उन्होनें न केवल कोरोना के लक्षणों के बारे में गलत जानकारी देते हुए  -(जैसे सूखी ख़ासी के जगह “बहती नाक”) सरकार पर आरोप भी लगाया है कि वह उन्हें कोई सहयोग नहीं दे रही है परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए नगर निगम को ऐसे ओछी हरकत रोकना चाहिए। उन्हें यह समझना चाहिए कि यह राजनीति करने का वक़्त नहीं बल्कि एक जुट हो इस महामारी से लड़ने ज्यादा जरूरी है।

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