मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर रघुबर दास और अर्जुन मुंडा के बीच दंगल

मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दंगल: 

आगामी 2019 की चुनावी सरगर्मी तेज होते ही झारखंड के राजनीतिक गलियारों से ये खबर उड़ रही है कि अर्जुन मुंडा ने खुद को भाजपा से अगले मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए प्रस्तावित कर दिया है। फलस्वरूप भाजपा अप्रत्यक्ष रूप से दो गुटों में बंट दंगल कर रही है। हालांकि मुख्यमंत्री बदलने की बात पिछले एक साल से चल रही थी, परन्तु रघुबर दास विरोधी खेमे को अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। लेकिन केंद्र भी जानती है कि झारखंड में वस्तुस्थिति पूरी तरह बदल चुकी है, इनका गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री का हथकंडा पूरी तरह फ्लॉप हो चुका है।

मौका देखते ही अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। साथ-साथ रघुबर विरोधी गुट भी इस मुद्दे पर अडिग होकर पूरी तरह ताल ठोक रहा है। जबकि मुख्यमंत्री के कट्टर समर्थकों और उनके कनफूंकवे दल इसे विक्षुब्धों की ख्यालीपुलाव से ज्यादा कुछ नहीं बता रहा। हालत यह हो गयी कि रघुबर दास और अर्जुन मुंडा कुर्सी की लालसा में एक दुसरे पर छींटाकशी और अपनी अपनी महत्ता का राग आलापने में लगे हुए हैं।

अर्जुन मुंडा के समर्थक खेमे की दलील है कि पिछले दिनों रांची में हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम में आये राज्य के बाहर से शरीक हुए नेताओं की टिप्पणी थी, वे राज्य सरकार के क्रियाकलापों से संतुष्ट नहीं है, वे राज्य में बदतर प्रशासन के लिए मुख्यमंत्री और उनके पूंछधरों को जिम्मेवार ठहरा रही है। जबकि CM के पक्षधर इस बात को हर सिरे से नकार रही है, उनके हिसाब से सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है। झारखंड की जनता रघुबर दास को दुबारा मुख्यमंत्री के रूप में कबूल कर चुकी है।

बहरहाल मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए मचे इस घमाशान ने भाजपा के अंदरूनी लोकतंत्र का मजाक बना रखा है। पार्टी के आकाओं को पूरी तरह आभास है कि गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री का फार्मूला से काम नहीं चलने वाला है, परन्तु इसके ठीक उलट भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अब भी रघुबर दास की वकालत कर रहे हैं, जो पार्टी के अन्य नेताओं के समझ से बिलकुल परे है।अब भाजपा के राजनेताओं के सामने ये समस्या खड़ी हो गयी है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? और कुर्सी के लिए चल रहे इस दंगल में किसे मेडल हासिल होता है।

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