झारखण्ड में फिर खिला कमल इस बार दोगुनी हुई बिजली की क़ीमत!

झारखण्ड में फिर खिला कमल इस बार दोगुनी हुई बिजली की क़ीमत। बिजली की नई दरें घोषित, 1 मई से लागू हो जायगी।

अब झारखण्ड में जनता महंगाई की तिहरी मार झेलेगी। बिजली की दरों में हुई भारी वृद्धि। आम उपभोक्ताओं पर बढी बोझ। 200 यूनिट से ज्यादा बिजली उपभोग करने पर प्रति यूनिट। 5.50 पैसे का करना होगा भुगतान। फिलहाल यह दर 3 के करीब है। घरेलू बिजली की क़ीमत में 98% की वृद्धि, कमर्शियल बिजली की क़ीमत में मात्र 7% की हुई बढ़ोतरी।

घरेलूउपभोक्तावर्ग
ग्रामीण उपभोक्ता – 4.40 रु (पूर्व में 1.25 रु था) प्रति यूनिट- फिक्स्ड चार्ज 20 रु (पूर्व में 16 रु था)
शहरी उपभोक्ता- 5.50 रु (पूर्व में 3 रु था) प्रति यूनिट- फिक्स्ड चार्ज- 75 रु (पूर्व में 50 रु था )

सिंचाई और कृषि कार्य के उपभोक्ता
5 रु प्रति यूनिट (70 पैसा पूर्व में) -200 यूनिट तक-फिक्स्ड चार्ज-20 रुपया क़ीमत

कामर्सियल उपभोक्ता
5.25 रु प्रति यूनिट (2.20 रू पूर्व में था)

प्रतिपक्ष नेता हेमंत सोरेन
मै बार बार कह रहा हूँ कि ये बिजनेस मेन, बनियों/ व्यापारियों की सरकार है। ये येन केन प्रकारेण गरीब मजदूरों के जेब से पैसे निकाल कर बैंकों के माध्यम से अपने अमीर साथियों को देने का और विदेश प्रवास करवाने का काम कर रही है। अभी आगे और बहुत कुछ यहाँ की जनता इनके सरकार में देखने को मिलेगा।

बाबूलाल मरांडी
ये सरकार लेने वाली सरकार है क्या सब्सिडी देगी। इनके मुखिया ही झूठ बोलते है तो फिर रघुवर सरकार के बारे में क्या कहें, ये सामाजिक ताना बाना को ही बिगाड़ रही है। क्या रघुवर सरकार ने झारखण्ड में एक छटाक भी बिजली का उत्पादन किया है आप ही बताइए।

पड़ताल

बिजली कट की समस्या

गिरिडीह: वर्ष 2018 तक राज्य के तमाम गांवों को बिजली से रोशन करने का लक्ष्य झारखंड सरकार ने निर्धारित कर रखा है परंतु यह लक्ष्य सूबे के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पैतृक गांव कोदाईबांक में आकर दम तोड़ता दिख रहा है। तिसरी प्रखंड मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर बसे बेलवाना पंचायत अन्तर्गत लगभग 100 घरों की आबादी वाले इस गांव के आधा फीसदी घरों में बिजली नहीं है। बताया जाता है कि कोदाईबांक गांव तो एक बानगी है, प्रखंड में दर्जनों ऐसे गांव के निवासी हैं जो आज भी लालटेन युग में जीवन व्यतीत करने को विवश है।

ग्रामीणों की मानें तो विभाग व एजेंसी द्वारा कई दफा सर्वे किया गया परंतु इसका कोई लाभ नहीं हुआ। गांव के निवासी सह पंचायत के मुखिया नन्दलाल हांसदा ने भी बताया कि दर्जनों घरों में आजतक बिजली सप्लाई नहीं हो पाई है। कई दफा सर्वे हुआ परंतु पता नहीं मामला कहां अटक जाता है। वहीं आसपास के कुछ लोग यह भी बताते हैं कि इन कई वंचित घरों में पूर्व में बिजली रहती थी परंतु विभागीय लापरवाही के कारण बिजली बिल इतना अधिक आ गया कि लोगों ने बिजली से तौबा कर लिया। बहरहाल कारण जो भी हो परंतु मिला-जुलाकर एक बात स्पष्ट है कि आज जब गांव-गांव में बिजली पहुंचाने का दावा किया जा रहा है, वैसे में इस गांव के आधा फीसदी घरों में बिजली नहीं होना सरकार के दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है।

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