भारत के चुनावी लोकतंत्र की कसौटी: एक संक्षिप्त विश्लेषण

इंडिया गठबंधन का फ्लैग मार्च भारत के चुनावी लोकतंत्र की मौजूदा चुनौतियों का एक सशक्त प्रतिबिंब है। यह संस्थागत विश्वास, पारदर्शिता और संवैधानिक मूल्यों के पुनर्मूल्यांकन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।


रांची : इंडिया गठबंधन का फ्लैग मार्च और ‘वोट चोरी’ के आरोप भारतीय चुनावी लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाते हैं। यह केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं था, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता और संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए एक प्रतीकात्मक आह्वान के रूप में देखा जा सकता है।

यह लेख तात्कालिक घटनाओं के प्रमुख बिंदुओं और इसके गहरे निहितार्थों को संक्षेप में प्रस्तुत कर सकता है। यह फ्लैग मार्च भारत के चुनावी लोकतंत्र की मौजूदा चुनौतियों का एक सशक्त प्रतिबिंब है। यह घटना संस्थागत विश्वास, पारदर्शिता और संवैधानिक मूल्यों के पुनर्मूल्यांकन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।

भारत के चुनावी लोकतंत्र की कसौटी

1. मार्च का उद्देश्य और आरोप

  • प्रतीकात्मक विरोध: इंडिया गठबंधन का फ्लैग मार्च एक पारंपरिक विरोध प्रदर्शन से भिन्न था। इसने खुद को “संविधान बचाओ” की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत किया और महात्मा गांधी के दांडी मार्च से तुलना करते हुए अपने विरोध को एक राष्ट्रीय, संवैधानिक संघर्ष का रूप दिया।
  • ‘वोट चोरी’ का आरोप: विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उनका दावा था कि यह प्रक्रिया बड़े पैमाने पर मतदाताओं को उनके मताधिकार से वंचित करने की एक “सुनियोजित साजिश” है। कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से भी समान आरोप लगाकर इसे एक व्यापक, राष्ट्रीय समस्या के रूप में प्रस्तुत किया गया।
  • सबूत और समर्थन: इन आरोपों का समर्थन करते हुए, राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ के पाँच तरीके (डुप्लिकेट मतदाता, अमान्य पते आदि) गिनाए। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में 18,000 मतदाताओं के नाम हटाए जाने का दावा किया, जिसके लिए उन्होंने 18,000 शपथ पत्र सौंपने का भी उल्लेख किया। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप किया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसने चुनाव आयोग को हटाए गए मतदाताओं का विवरण साझा करने का निर्देश दिया।.

2. चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

  • आरोपों का खंडन: चुनाव आयोग (ECI) ने इन आरोपों को “तथ्यों से गलत” बताया और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का दावा किया।
  • सबूत की मांग: आयोग ने राहुल गांधी को नोटिस जारी कर अपने आरोपों को साबित करने के लिए दस्तावेज़ पेश करने को कहा, अन्यथा माफी मांगने के लिए कहा।
  • प्रक्रियागत खामियाँ: चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची के मसौदे पर कोई औपचारिक आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों ने आयोग के स्वयं के सत्यापन तंत्र की कमी और डेटा को गैर-संरचित प्रारूप में जारी करने की आलोचना की, जिससे स्वतंत्र सत्यापन बाधित होता है।

3. संवैधानिक निहितार्थ

  • ‘संविधान बचाओ’ नैरेटिव: इस मार्च ने विरोध को “एक व्यक्ति, एक वोट” के सिद्धांत की रक्षा के रूप में प्रस्तुत किया, जो डॉ. बी.आर. अंबेडकर के लोकतांत्रिक समानता के दृष्टिकोण के अनुरूप है। मतदाता सूची में कथित हेराफेरी सीधे तौर पर इस सिद्धांत और नागरिकों के मताधिकार को कमजोर करती है।
  • चुनाव आयोग की स्वायत्तता: यह घटना चुनाव आयोग की संवैधानिक स्वायत्तता और उसकी निष्पक्षता की सार्वजनिक धारणा के बीच के तनाव को उजागर करती है। जबकि आयोग के पास चुनाव कराने की “पूर्ण शक्तियां” हैं, आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया और पारदर्शिता की कमी ने इसकी स्वतंत्रता पर सवाल उठाए हैं।
  • विरोध प्रदर्शन की भूमिका: सरकार द्वारा मार्च को रोकना और सांसदों को हिरासत में लेना, भले ही तकनीकी कारणों से हो, विपक्ष के इस नैरेटिव को बल देता है कि लोकतांत्रिक स्थान सिकुड़ रहा है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास के क्षरण को बढ़ाता है।
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4. आगे का रास्ता

  • लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने और चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
  • व्यापक ऑडिट: मतदाता सूचियों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर व्यापक सत्यापन किया जाए।
  • पारदर्शिता: चुनाव आयोग को मतदाता डेटा को संरचित और खोजने योग्य (searchable) प्रारूपों में जारी करना चाहिए ताकि स्वतंत्र सत्यापन संभव हो सके।
  • शिकायत तंत्र: शिकायतों के निवारण के लिए एक अधिक कुशल और विश्वसनीय औपचारिक तंत्र स्थापित किया जाए।
  • विश्वास बहाली: चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच निरंतर संवाद आवश्यक है। आयोग को जाँच को लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने के अवसर के रूप में देखना चाहिए।

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