झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025: लोकतान्त्रिक पहल

झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025। अब राज्यपाल का VC नियुक्ति पर एकाधिकार खत्म होगा, जिससे शिक्षा में लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ेगी।

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रांची : हेमन्त सरकार कैबिनेट द्वारा ‘झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025’ का अनुमोदन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दूरगामी कदम है। यह विधेयक राज्यपाल के कुलपतियों (VC) की नियुक्ति संबंधी एकाधिकार को समाप्त करके शिक्षा प्रणाली में लोकतांत्रिक भागीदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह विधेयक झारखंड की उच्च शिक्षा प्रणाली में सुशासन और लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

विधेयक के प्रमुख बिंदुओं का सारांश

कुलपतियों की नियुक्ति में लोकतांत्रिकरण: इस विधेयक का महत्वपूर्ण पहलू कुलपतियों की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाना प्रतीत होता है। पूर्व में, राज्यपाल की निर्णायक भूमिका के कारण यह प्रक्रिया न केवल केंद्रीकृत प्रतीत होती थी, बहुजन हितकारी भी नहीं थी। नए प्रावधानों के अनुसार, कुलपतियों के चयन के लिए एक विशिष्ट चयन समिति (Search-cum-Selection Committee) का गठन किया जाएगा, जिसमें राज्य सरकार के प्रतिनिधियों और प्रतिष्ठित शिक्षाविदों की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी. जिससे नियुक्तियों में योग्यता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम विश्वविद्यालयों में अनावश्यक राजनीतिक प्रभाव को कम करते हुए बेहतर नेतृत्व को प्रोत्साहित करेगा।

राज्य सरकार की नीतियों का बेहतर क्रियान्वयन: यह विधेयक राज्य सरकार को उच्च शिक्षा नीतियों और प्राथमिकताओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए स्वायत्तता प्रदान कर सकेगा। यह राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं और लक्ष्यों के अनुरूप शैक्षणिक सुधारों को बढ़ावा देगा, जिससे राज्य के युवाओं के लिए बेहतर शैक्षिक अवसर सृजित होंगे। यह शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करेगा और राज्य के समग्र विकास में योगदान देगा।

मसलन, हेमन्त सरकार में झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक सुधार है जो उच्च शिक्षा में लोकतांत्रिक मूल्यों और सुशासन को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है। यह विश्वविद्यालयों को प्रशासनिक इकाइयों से आगे बढ़ाकर ज्ञान और नवाचार के सक्रिय केंद्रों के रूप में स्थापित करने में सहायक हो सकता है। इसका सफल कार्यान्वयन निश्चित रूप से झारखंड को देश के प्रमुख शैक्षिक राज्यों में से एक के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।

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