कोयलाकर्मियों को कोरोना से बचाने के लिए बनाया गया है सेनेटाइंजिग चैंबर

कोविड-19 के संक्रमण से बचाने के लिए कोल इंडिया ने अभिनव प्रयोग किया है। एसईसीएल के चिरीमिरी स्थित बरटूंगा माइंस में कोयलाकर्मियों को सेनेटाइज करने के लिए सेनिटाइजिंग चैंबर बनाया गया है। साथ ही कोल इंडिया के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कोरोना क्राइसिस (संकट) लंबा दिन चला तो इस तरह के सेनेटाइजिंग चैंबर ज्यादा मैनपावरवाली खदानों में इंस्टाल किया जाएगा।

सेनेटाइजिंग चैंबर बाथरूम की तरह एक गैलरी है, जहां सेनेटाइजर का मिश्रण शॉवर की तरह गिरता है। माइनिंग ड्रेस में कोयलाकर्मी उक्त गैलरी को पार कर जाते हैं और कपड़े के साथ पूरा शरीर सेनेटाइज हो जाता है। काम पर जाने और निकलने के वक्त इस सेनेटाइज किया जाता है। प्रेशर के साथ सेनेटाइजर छोड़ा जाता है, इसलिए सिर्फ सेनेटाइजिंग चैंबर से गुजरने मात्रा से संक्रमण का खतरा खत्म हो जाता है। कोल इंडिया ने इस प्रयोग को अपने ट्विटर हैंडल पर प्रमुखता से जगह दी है। साथ ही इसे अपनाने के लिए अपील की गई है।

कोल इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोरोना संकट से निपटने में निर्बाध बिजली चाहिए। निर्बाध बिजली के लिए निर्बाध रूप से कोयला उत्पादन और डिस्पैच होना चाहिए। मालूम हो देश में लगभग 70% बिजली कोयला आधारित पावर प्लांटों से मिलती है। लॉकडाउन के दौरान देश के कई उद्योग धंधे बंद हैं लेकिन आवश्यक सेवा के तहत कोयला उत्पादन जारी है। आगे भी कोयला उत्पादन जारी रखने के लिए कर्मियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।

कोल इंडिया एवं अनुषंगी कंपनियों ने लॉकडाउन से प्रभावित गरीब मजदूरों के बीच फूड पैकेट का वितरण शुरू किया है। हर पैकेट में खाद्य सामग्रियों के साथ-साथ एक साबुन भी दिया जा रहा है। कोल इंडिया की ओर से निर्देश दिया गया है कि कोरोना खतरे के इस माहौल में भूख मिटाने के लिए खाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी साबुन भी है।

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