खिलाड़ी और खेल के प्रति सरकार का उदासीन रवैया क्यों?
इस सन्दर्भ में नाम न छापने के अनुरोध कर कुछ खिलाड़ी अपना दुःख बयाँ करते हुए ये बताने से नहीं चुके कि झारखंड में फुटबॉल के खेल में सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।
हम भारत के लोग …?
अशोभनीय टिप्पणी को लेकर समाज में हफ्तों चर्चाएं हो सकती हैं तो एक लोकतांत्रिक देश में 72 वें स्वतंत्र दिवस के महज चंद दिनों पहले संविधान की प्रतियां जला दी गई और उसपर सरकारों का या प्रधान मंत्री के लालकिले के प्राचीर से दिए गए भाषण में कोई पक्ष तो छोड़िये जिक्र तक ना होना, इसे कैसे देखा जाए या क्या इशारा करती है?
भूख से मौत प्रकरण में भाजपा पर उठते गंभीर प्रश्न
कभी भी यह सुनने-पढने को नहीं मिला कि केंद्र ने इस घटना में आगे बढ़कर जाँच करवाने का कोई प्रयास किया या रघुवर सरकार से कोई जवाब तलब ही किया हो? उल्टा, अमित शाह झारखण्ड आने के उपरान्त उनकी पीठ थपथपा कर चले गए।
कंबल घोटाले के दबे राज उजागर कब होंगे…?
कंबल घोटाला प्रकरण के मद्देनज़र खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू …
अबतक वनक्षेत्र के 50,000 हेक्टेयर भूमि लूटा चुकी है यह सरकार
इनके कथन आज भी कितने प्रासंगिक हैं, हम झारखंडी एक तरफ हिन्दू-मुसलमान में उलझे रहें और दूसरी तरफ हमारे जंगलों से लगभग 50 हजार हेक्टेयर भूमि को उड़ा लिया गया। और हमारे मुख्यमंत्री जो कि खुद वन मंत्री हैं, को इसका पता भी न चल सका। कैसे इस सेवक पर विश्वास किया जाय?
राज्य की 50 फीसदी आधी आबादी बेरोजगार: बेरोजगारी…भाग 4
15-34 आयुवर्ग की महिलाओं में औसत बेरोजगारी दर लगभग 50 प्रतिशत है। जिससे यह साफ़ दिखता है कि किस प्रकार युवतियों को यह सरकार रोजगार से दूर रखी हुई है। इस आंकड़े को जब हम आयु वर्ष में विभक्त कर देखते हैं तो मामला और भी भयावह प्रतीत होता है।