सरकार की दमनकारी नीतियों कर खिलाफ झारखंडियों का हल्ला बोल
आदिवासी-दलितों, अल्पसंख्यकों, वामपंथी कार्यकर्ताओं पर सत्ता द्वारा दमन की घटनाएँ …
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आदिवासी-दलितों, अल्पसंख्यकों, वामपंथी कार्यकर्ताओं पर सत्ता द्वारा दमन की घटनाएँ …
नगर निगम के प्रस्तावित प्लान में कई खामियां है, जैसे मात्र 7 नालियों को ही सीवरेज से जोड़ा जाना है और 82 नालों को ऐसे ही छोड़ा दिया गया है। भारत सरकार की एजेंसी नेशनल इंवायरमेंटल इंजीनियर्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरि) के सर्वे में 82 नालियों को चिन्हित किया गया है।
किसी प्रदेश का विकास सिर्फ बड़े लॉंन्चिंग व टार्गेट बनाने से नहीं होता, जब तक एक्शन प्लान तैयार न हो। सपना देखना अच्छी बात है और सभी को देखना भी चाहिए, पर हमारे पैर हमेशा जमीन पर रहने चाहिए।”
आरोप लगाया कि सरकार बुनकर दिवस के दिन करोड़ों की राशि खर्च कर सिर्फ दिखावा कर रही है। यह ना तो बुनकरों के हित में है और ना ही इससे झारक्राफ्ट को किसी प्रकार का फायदा पहुँचने वाला है। यह केवल एक छलावा है।
इनके कथन आज भी कितने प्रासंगिक हैं, हम झारखंडी एक तरफ हिन्दू-मुसलमान में उलझे रहें और दूसरी तरफ हमारे जंगलों से लगभग 50 हजार हेक्टेयर भूमि को उड़ा लिया गया। और हमारे मुख्यमंत्री जो कि खुद वन मंत्री हैं, को इसका पता भी न चल सका। कैसे इस सेवक पर विश्वास किया जाय?
सरकार झूठे मुद्दे उछालने, लम्बे-चौड़े हवाई वायदे करने, जुमलेबाज़ियों और नफ़रत फैलाने के ज़रिये असली मुद्दों को हाशिये पर धकेल देने की रणनीति में हिटलर और मुसोलिनी का काबिल वारिस साबित हुआ है। इतिहास में हुई अपनी दुर्गति से सीखकर आज फ़ासीवादी राजनीति खुले-नंगे रूप की जगह संसद और संवैधानिक संस्थाओं का आवरण ओढ़कर अपनी नीतियों को लागू कर रही है।