झारखण्ड और बंगाल के बीच रंगों की लड़ाई में पिसती जनता!
मौसमी रोजगार के लिये प्रति वर्ष लाखों की संख्या में पश्चिम बंगाल जाने वाले उन श्रमिकों का क्या होगा जो अपने परिवार का भरण-पोषण, धनकटनी व अन्य कार्यों के माध्यम से करते हैं? उन दिहाड़ी मजदूरों, छोटे व्यवसायियों के परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा जिनके मुखिया पश्चिम बंगाल में रोटियाँ तलाशने जाते हैं?