गिरिडीह विधायक के सच के आईने में भाजपा की तिलमिलाती छवि

गिरिडीह विधायक sudivya kumar के सच के आईने में भाजपा का तिलमिलाता छवि
https://youtu.be/aooZhWvMZVM

झारखंड विधानसभा के पटल पर गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार के सच के आईने में भाजपा विचारधारा के सच की तिलमिलाती छवि स्पष्ट दिखा

सुकुन – ना सिनेमा में। ना संगीत में। ना हथेलियों में धड़कते मोबाइल में।…मिलता है। दिलो में कौघतें देश बिकने के विचार जब जल्दबाजी में सब कुछ लूट लेने, छीन लेने के सच के साथ आमादा हो। तो देशभक्ति से भरा दिल जनता का हो,  जन नेता का हो, जन सेवक, विधायक-मंत्री का ही क्यों न हो। यकीनन वह दुःख वह तड़प उनके शब्दों में तो दिखेगा। वह आखिरी सच तो बयान करेगा, चाहे भाजपा मानसिकता देशभक्ति के मद्देनजर उसके शब्दों का कोई भी मायने निकाले। लेकिन कसौटी पर सच तो कतई नहीं बदल सकता।

इसी एहसास के मद्देनजर झारखंड विधानसभा आज देश के उभरते भयानक सच के साथ, गिरिडीह झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार के शब्दों में गूंजा। उनके सवालों के शब्दों ने न केवल देश के मौजूदा व्यथा को उभारा। भाजपा नेताओं के तिलमिलाहट में स्पष्ट झलका भी कि वह सच का आईना देखा पा रहे थे। उनके सवाल लोकतंत्र के आसरे केंद्र के उस मानसिकता को जरूर कुरेदती है। जहाँ भाजपा केंद्र मंत्री के शब्द झारखंड में साफ़ धमकी या प्रलोभन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देता है कि वह झारखंड की भलाई चाहते हैं के लिए एनडीए का दामन थाम ले। क्या जनता की लोकतांत्रिक आचार संहिता की कसौटी पर भाजपा मानसिकता इस सच को ख़ारिज कर सकती है।

मसलन, जाहिर है जो मानसिकता, देशभक्त सिख कौम को खालिस्तानी कहे। किसानों के दर्द को आतंक कहे। आदिवासी जो उसकी विचारधारा मानने से इनकार करे उसे नक्सली कहे। दलित समुदाय अपना हक-अधिकार मांगे तो आरक्षणखोर कहे। अल्पसंख्यकों को आतंकवादी कहे। अगर वह मानसिकता अंग्रेजों से माफ़ी मांगने वाले सावरकर को देशभक्त माने, हत्यारे गोडसे को देशभक्त माने। और अर्थव्यवस्था के मद्देनजर घर बेचना सफल रणनीति माने। गरीब खात्मे के मद्देनजर पूंजीपति मित्रों के हाथों में हथियार दे। तो ऐसे में देशभक्त का दुखी मन तड़पता है तो आश्चर्य क्यों? सच का घूंट तो हमेशा ही कड़वी तो होती है। यह तो शुरूआती दौर भर है….