बेरोजगारी…भाग 3: बाल मजदूरी बनी झारखण्ड की पहचान
जो व्यवस्था सभी हाथों को काम देने के बजाय करोड़ों बेरोज़गारों की विशाल फौज में हर रोज़ इज़ाफा कर रही है, जिस व्यवस्था में करोड़ों मेहनतकशों को दिनो-रात खटने के बावज़ूद न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं मिलती, उस व्यवस्था के भीतर से लगातार बाल-मज़दूरों की अन्तहीन क़तारें निकलती रहेंगी।
15वें वित्त आयोग केंद्रीय सिफारिशों को आधार मानती है
जैसा कि सभी को ज्ञात है कि भारतीय वित्त आयोग …
पहली बारिश में ही राज्य की सड़को ने खोल दी सरकार के दावों की पोल
इनके इन्हीं रवैये से तंग आकर इनलोगों ने सड़क के गड्ढे में जमे हुए पानी में धान रोपनी कर दिया ताकि सरकार की नींद खुल सके। झारखंड के अन्य हिस्सों में ऐसी घटना लगातार देखने को मिल रही है।
बेरोगारी…भाग 2 : दुखी पारा शिक्षक एवं शिक्षकों के रिक्त पद
…इस लेख को शुरू करने से पहले याद दिला दूं …
शहीद उधम सिंह की शहादत को सलाम!
जन्म : 26 दिसम्बर, 1899 (सुनाम, जिला संगरूर, पंजाब, …
मुंशी प्रेमचन्द के जन्मदिन के अवसर पर उनका प्रसिद्ध लेख
साम्प्रदायिकता और संस्कृति मुंशी प्रेमचन्द किसी परिचय के मोहताज …