झारखण्ड : क्या 15 नवम्बर को पीएम राजकीय समारोह में भाग लेंगे

झारखण्ड :  बाबूलाल मरांडी के दौर में पीएम मोदी 15 नवम्बर को झारखण्ड के राजकीय समारोह में भाग लेंगे? क्या उनका भाषण का फोकस चुनावी लाभ से इतर झारखण्ड की समस्या पर समर्पित होगा?

रांची : केन्द्रीय नीतियों की तमाम सच के बीच, वर्तमान हेमन्त शासन में जब भी प्रधानमंत्री मोदी का दौरा झारखण्ड प्रदेश में हुआ है, सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा स्वयं सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा उठाया गया है. और पीएम पद को सम्मान दिया गया है. मोदी शासन में देखा गया है कि राज्यों में मतदान के दिन पीएम का कार्यक्रम निकटतम क्षेत्रों में होता है. मसलन, पीएम का 15 नवम्बर का झारखण्ड दौरा भी मध्यप्रदेश के चुनाव से जोड़ कर देखा रहा है. ज्ञात हो उस दिन मध्यप्रदेश में मतदान होना है.

क्या 15 नवम्बर को पीएम राजकीय समारोह में भाग लेंगे

बहरहाल, प्रेरणा के अक्स में 15 नवम्बर का दिन झारखण्ड के लिए एक उत्सव का दिवस है. यह दिवस झारखण्ड गठन के साथ धरती आबा बिरसा मुंडा के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. ज्ञात हो. 15 नवम्बर के दिन महामहिम राष्ट्रपति का आगमन झारखण्ड में हुआ था. निमंत्रण के बावजूद वह राजकीय समारोह में शामिल न हो सकी. आशा है कि इस दफा देश के पीएम बाबूलाल मरांडी के दौर में झारखण्ड के राजकीय उत्सव में शामिल हो प्रदेश का मान रखेंगे. और झारखण्ड के अधिकारों की बात करेंगे. 

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के महा सचिव सुप्रियो भट्टाचार्य का पीएम दौरा के सम्बन्ध में पीसी का अंश.

  • मध्यप्रदेश में 15 नवम्बर को ही मतदान है, झारखण्ड के लिए प्रेरणा का दिन है. इस दिवस उपयोग वह राजनीतिक लाभ के लिए न करें. झारखण्ड के समस्या हल के लिए करें.
  • झारखण्ड को कुछ नया नहीं दे सकते तो कम से कम जो मरणासन्न एचईसी को बचा लें. जब उन्होंने औद्योगिक विकास के नाम पर नामित उद्योग समूह को आगे बढ़ाया है, ऐसे में देश का रीढ़, एचईसी बर्बादी की कगार पर क्यों है?.
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने दस वर्ष के शासन के अंतिम चरण में हैं. जिसके अक्स में राज्य की हालत और बदतर हुई है. एचईसी से जुड़े कर्मचारी की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि कई परिवार मरणासन्न पर है.
  • प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, रिश्ता जोड़ लेते हैं. झारखण्ड से रिश्तेदारी को ध्यान में रखते हुए कम से कम वह एचईसी का उद्धार करें. और राज्य का 36 लाख करोड़ बकाया दिलाने में मदद करें. आदिवासी-मूलवासी से जुडी योजनाओं को जमीन पर उतारें.
  • आजकल भाजपा के लोग चुनाव हित में सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों से पन्ना प्रमुख, बूथ प्रमुख तक का काम लेते दिखते हैं. आशा है कि वह जनता अवश्य बताएँगे कि सेना व अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों से अपनी जय-जय क्यों करवा रहे हैं? स्वयं को आदिवासी प्रेमी बताने वाले पीएम आखिर मिजोरम के विधानसभा चुनाव में भाग क्यों नहीं लिए?

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