क्यों बीजेपी शासन के इन्वेस्टर्स समिट के इन्वेस्टर्स का अता-पता नहीं?

बीजेपी का इन्वेस्टर्स समिट : बीजेपी शासित राज्यों में युवाओं को रोजगार देने के बड़े सपनों के अक्स में इन्वेस्टर्स के माध्यम से गरीब व अनुसूचित जातियों की ज़मीन लूट होती है. और नतीजा ढाक के तीन पात ही रहते है.

रांची : देश भर के बीजेपी शासित राज्यों का यह भी सच है कि वहां रिक्त पदों पर नियुक्तियां नहीं होती. और इन्वेस्टर्स समिट के अक्स में युवाओं को रोजगार के बड़े सपने दिखाए जाते हैं. जिसके आड़ में राज्यों के गरीब व अनुसूचित जातियों की ज़मीन लूट चहेते इन्वेस्टर्स के माध्यम से होती है. और अंत में इन्वेस्टर्स का कोई अता-पता नहीं होता. नतीजतन, एक तरफ गरीब व अनुसूचित जाति विस्थापित होते हैं और दूसरी तरफ युवाओं का भविष्य और अन्धकारमई हो जाता है. 

क्यों बीजेपी शासन के इन्वेस्टर्स समिट के इन्वेस्टर्स का अता-पता नहीं?

ज्ञात हो, झारखण्ड राज्य में पूर्व के बीजेपी सरकार में मूलवासियों की ज़मीन लूट गुजरात के तर्ज पर बनी लैंड बैंक के माध्यम से हुआ. और झारखण्ड मोमेंटम जैसी हवाई किले के अक्स में युवाओं को रोजगार के सपने दिखाए गए. ज़मीन के एवज में 2.10 कंपनियों के साथ 3.39 लाख करोड़ के निवेश हेतु एमओयू हुआ. लेकिन वर्तमान में 210 कंपनियों में 131 कंपनियों का कुछ अता-पता नहीं है. और धूर्तता की पराकाष्ठा है कि बीजेपी इसका दोष मौजूदा सरकार पर मढ़ने का प्रयास करती दिखी है.

ऐसा ही मामला अब यूपी की बीजेपी सरकार में भी सामने आया है. यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (यूपीजीआइएस) के तीन माह बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार निवेशकों के लिए ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी नहीं करा पाई है. क्योकि वह एमओयू साइन करने वाले निवेशकों से संपर्क नहीं साध पाई है. हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग के लिए 607 निवेशकों के साथ एमओयू हुआ था, जिनमें 400 निवेशकों का वर्तमान में कोई अता-पता नही है. और 25 ने स्पष्ट बोला है कि गलती से आवेदन कर दिया था.

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