झारखण्ड : क्या (पीआईएल) जनहित के आड़ में पैसे उगाही का काला खेल चल रहा था?

पीआईएल मैनेज के आरोप में अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने 50 लाख कैस के साथ गिरफ्तार किया है. उन्हें कोलकाता के बैंक शॉल कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें 6 दिनों के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है.

रांची। झारखण्ड हाईकोर्ट के अधिवक्ता, ‘पीआईएल मैन’ के रूप में चर्चित राजीव कुमार की गिरफ्तारी 50 लाख रुपये नकद के साथ कोलकाता पुलिस द्वारा हुई है. उनके ऊपर बंगाल के एक व्यवसायी के खिलाफ दायर पीआईएल को मैनेज करने के एवज में 10 करोड़ मांगने फिर एक करोड़ में डील फाइनल करने का आरोप है. बताया जा रहा है कि उनके पास बरामद 50 लाख नकद इसी डील के तहत हुए भुगतान का हिस्सा है. अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता के बैंक शॉल कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें छह दिनों के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया.

ज्ञात हो, राजनीतिक दल हो, सरकार हो या कोई भी अन्य पीआईएल का मामला हो, उसमें अधिवक्ता राजीव कुमार का नाम कमोवेश जुड़ा ही रहा है. मोमेंटम झारखण्ड, राष्ट्रीय खेल, मनरेगा, टॉफी-टीशर्ट, हाईकोर्ट भवन, जैसे बड़े मामलों में भी अधिवक्ता राजीव के नाम जुड़े रहे हैं. यहाँ तक कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री पर दाखिल पीआईएल मे भी ये सुर्खियों में रहे हैं. इसकी पीड़ा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बयानों में साफ झलकता भी है. 

उनके पास से एक पीआइएल से व्यवसायी का नाम हटाने के मामले में राशि की बरामदगी का सत्यापित होता है तो निश्चित रूप से राजीव कुमार के चरित्र पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं. और पीआइएल मामलों में उनका किरदार किसे काले उद्योग से जुड़ सकता है. जिसके अक्स में बड़ा सवाल होगा कि कहीं पीआइएल के पर्दे में जनहित के जगह पैसे उगाही का काला खेल तो नहीं खेल जा रहा था? और याचिका कर्ता भी इस खेल का हिस्सा भर नहीं रहे हैं.

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