विश्व आदिवासी दिवस : मौजूदा दौर में बतौर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आगे बढ़कर आदिवासी अधिकारों का संरक्षण कर रहे हैं, इसलिए झारखण्ड ज्यादा आशान्वित हैं.
आदिवासी समुदाय को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं
झारखण्ड खबर
रांची : विश्व आदिवासी दिवस – संयुक्त राष्ट्र की पहल पर, 9 अगस्त 1982 को पहली बार विश्व के आदिवासी समुदायों का सम्मेलन हुआ था. फिर विश्व स्तर पर आदिवासी समुदाय के बीच एक दिन जो मूल निवासियों (आदिवासियों के लिए) समर्पित हो, निर्धारित करने की मांग उठने लगी थी. कई वर्षों बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा 9 अगस्त 1994 को पहली बार विश्व आदिवासी दिवस मनाने की घोषणा की गई. उसके बाद से प्रति वर्ष 9 अगस्त को दुनिया में आदिवासी समुदाय के समर्थन में विश्व आदिवासी दिवस आयोजित किया जाता है. यह दिवस आदिवासी संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाजों, उनके रहन सहन, अधिकारों को संरक्षित करने को लेकर समर्पित है.
झारखण्ड में आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा से ही मुखर हैं. यहां हर साल इस दिवस को आदिवासी समुदाय धूमधाम से मनाते हैं. मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन खुद आदिवासी समुदाय से आते हैं और वे गहराई से आदिवासी समुदाय के दर्द, उनसे जुड़े सरोकारों को समझते हैं. यही वजह है कि सत्ता में आने के बाद से ही हेमन्त सरकार ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों के संरक्षण और उनके हितों से जुड़े लगातार कई निर्णय लिया है. जिससे यह समुदाय पूर्व के सरकारों में महरूम रहे.
हेमन्त सरकार में लिए गए प्रमुख निर्णय :
- वर्षों की सरना आदिवासी धर्मकोड की मांग से जुड़े प्रस्ताव को विधानसभा से पारित कराकर केंद्र में भेजा गया.
- आदिवासी समुदाय के पारंपरिक धार्मिक अगुवा के अधिकारों को मान्यता दी गई है.
- रांची के करमटोली में धुमकुड़िया भवन के निर्माण को स्वीकृति मिली.
- जनजातीय समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को ब्रिटेन और आयरलैंड के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए मारंङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय योजना की शुरूआत.
- वनभूमि में रहनेवाले लोगों को मिला पट्टा.
- इसके अलावा और कई निर्णय जनजातीय समुदाय के हित में लिए गए है.
- राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा संचालन नियमावली में झाऱखंड की जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल कर झारखंडियों का मान बढ़ाया है
आदिवासियों के मामले में भाजपा-आरएसएस का नजरिया
आदिवासी जैसे वंचित समुदाय के विषय को लेकर भाजपा-आरएसएस का नजरिया अचंभित करने वाला रहा है. विरोध के बावजूद आरएसएस आदिवासियों को हिंदू कहता है. और वनवासी कल्याण केंद्र के जरिए उसका आदिवासियों में मतांतरण का खेल जारी है. भाजपा चूँकि आरएसएस विचारधारा की उपज है, इसलिए उसकी भी सोच व कार्यप्रणाली आरएसएस से इतर नहीं दिखती. मसलन, भाजपा का झारखंड की सत्ता पर सबसे अधिक काल तक काबिज होने के बावजूद आदिवासी समुदाय मूलभूत अधिकारों से वंचित रहे. आदिवासी समुदाय का लगातार विरोध का कारण भी यही रहा है.
बहरहाल, मौजूदा दौर में झारखंड की सत्ता एक आदिवासी मुख्यमन्त्री, हेमन्त सोरेन के हाथों में है. और चूँकि बतौर मुख्यमंत्री वह आगे बढ़कर उनके अधिकारों का संरक्षण कर रहे हैं, तो आज झारखण्ड के आदिवासी विश्व आदिवासी दिवस पर अपने अधिकारों, संस्कृति के संरक्षण के प्रति ज्यादा आशान्वित हैं.