झारखण्ड : एक आदिवासी सीएम के नेतृत्व में झारखण्डी संघर्ष का निकाल रहा स्थाई हल

झारखण्ड : आदिवासी सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में दर्द भरे झारखण्डी संघर्ष का, समस्याओं का, हक-अधिकार संरक्षण का, रोजी-रोजगार का निकाल रहा स्थायी हल.  

रांची : आदिवासी सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व वाली झारखण्ड सरकार में मूलवासी-आदिवासी समेत तमाम झारखण्ड के लंबे झारखण्डी संघर्ष का सिरे से स्थाई हल निकाल रहे हैं. झारखंडी हक-अधिकार को संरक्षण मिल रहा है. ज्ञात हो, जनहित में नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के संबंध में जनहित में लिया गया निर्णय कोई पहला झारखण्डी संघर्ष का स्थायी हल नहीं है. इससे पहले भी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा स्पष्ट तौर पर जनपक्ष में कई निर्णय ले अपनी ईमानदार मंशा को जाहीर किया है. 

अलग राज्य गठन के बाद झारखण्ड में 21 सालों में पहली बार जेपीएससी (JPSC) नियमावली बनी, परीक्षा सम्पन्न हुई, रिकार्ड समय में परिणाम घोषित हुए और दसकों से रिक्त पड़े पदों पर नियुक्तियाँ हुई. निजी क्षेत्र के नियुक्तियों में 75% आरक्षण के तहत 10 हजार से अधिक युवाओं को नौकरी मिली है. हाँसिए पर खड़े आदिवासी, दलित, पिछड़ों व गरीब वर्ग की पहचान को बचाने व आर्थिक सशक्तिकरण की कवायद शुरू हुई. राज्य में शिक्षा से लेकर सामाजिक, आर्थिक, ऐतिहासिक मजबूतीकरण में ठोस कदम उठाए गए.

TAC का गठन व जनजाति धार्मिक स्थलों का विकास कार्य राज्य में हुआ शुरू 

अनुसूची,जनजाति व पिछड़े समाज के सरकारी कर्मियों के विभागीय प्रोन्नति से जुड़ा फैसला लिया गया. जनजातिय बाहुल्य क्षेत्रों में विकास हेतु जनजाति सलाहकार परिषद -TAC का गठन हुआ है. जनजाति समाज के धार्मिक स्थलों को विकसित करने का काम शुरू हुआ. आदिवासियों की पहचान, सरना धर्म कोड बिल विधानसभा से पारित के केंद्र को भेज गया. आदिवासी युवाओं को उच्चतम शिक्षा ग्रहण करने हेतु सरकारी खर्च पर विदेशों के ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालय भेज गया है.

सहायक अध्यापक सेवाशर्त नियमावली 2021 को व पुरानी पेंशन योजना को मिली मंजूरी

झारखण्ड सहायक अध्यापक सेवाशर्त नियमावली 2021 को मंजूरी दे सीएम हेमन्त सोरेन ने राज्य के पारा शिक्षक को सहायक शिक्षक के रूप में नई पहचान दी. और उनके लंबे दर्द भरे संघर्ष को स्थायी विराम दिया. ठीक इसी प्रकार हेमन्त सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को कैबिनेट से स्वीकृति दिया गया है. पुरानी पेंशन योजना को स्वीकृति मिलने से राज्य के पेंशनधारियों को लबे संघर्ष से मुक्ति मिली है और उनका बुढ़ापा संरक्षित हुआ. फेहरिस्त लंबी है, वर्तमान में भी सरकार कई अनुबंधकर्मियों के स्थायीकरण के दिशा मे प्रयासरत है.

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