तुष्टिकरण शब्द का उच्चारण भाजपा के मुख से – आश्चर्य व चमत्कार -2020

बाबा साहेब अंबेडकर के अनुसार, तुष्टीकरण शब्द का अर्थ स्वार्थ के लिए अवैध रास्ता अपनाना है। अगर सरकार इस संदर्भ में कोई मदद करती है, तो वह तुष्टिकरण की नीति के तहत है। बाबा साहेब इसे और परिभाषित करते हैं। यह नीति अतिक्रमणकारियों की ख़रीद और उनकी अनैतिक गतिविधियों में मदद करती है। प्रिय को उन अपराधियों के अत्याचारों से अनदेखा करना भी इसी श्रेणी में आता है। यह किसी धार्मिक एजेंडे पर भी आधारित हो सकता है। बदकिस्मती से यह गुण भाजपा की राजनीति शैली में देखा जा सकता है। 

भाजपा की राजनीति तुष्टीकरण शब्द के अर्थ से मेल नहीं खाती

वहीँ पंथनिरपेक्ष दल तुष्टिकरण शब्द से परे पंथनिरपेक्षता की एक अवधारणा प्रस्तुत करता है। जिसके तहत वह खुद को आधिकारिक तौर पर धार्मिक मामलों से अलग करते हुए, तटस्थ घोषित करता है। लेकिन, भाजपा की राजनीति में धर्म शब्द का अर्थ बहुत ही आश्चर्यजनक है। यहां “धर्म”, आचार संहिता, रीति-रिवाज, अनुष्ठान, सांप्रदायिक नैतिकता, नैतिक आचरण, शिष्टाचार आदि का उपयोग किया जाता है, जबकि, उनकी राजनीति बिकुल अपोजिट दिखती है।

जिसके कारण धर्मनिरपेक्ष शब्द का हिंदी अनुवाद करना न केवल कठिन हो जाता है, बल्कि अनावश्यक भी प्रतीत होता है। हालाँकि, भारतीय साहित्य में धर्मनिरपेक्ष शब्द को धर्म के रूप में परिभाषित किया गया है। हालांकि, धर्म-आधारित राजनीति ने न केवल शब्द की गरिमा का अतिक्रमण किया, बल्कि धर्मनिरपेक्ष व धर्म की अभिव्यक्ति को भी अलग कर दिया है। 

भाजपा ने तुष्टिकरण शब्द का इस्तेमाल क्यों किया

ऐसे में अगर भाजपा झारखंड सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाती है, तो यह निश्चित रूप से उनके मानसिक तुष्टिकरण को दर्शाता है। क्योंकि, हाल ही में, झारखंड के मीडिया में भाजपा नेताओं और समर्थकों की तालाबंदी के नियमों को तोड़ने के बारे में कई नकारात्मक ख़बरें आई। अगर सरकार लोगों की सुरक्षा के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करती है, तो भाजपा इसे तुष्टिकरण का नाम देती है।

तुष्टिकरण शब्द संबंधित अन्य तथ्य

झारखण्ड में सीआरपीएफ की तैनाती पर, भाजपा नेताओं को सोशल मीडिया पर लाभ उठाने की कोशिश करते देखा गया। ऐसा लगता है कि संकट के समय में, उनका प्रयास केवल अन्य लोगों के अच्छे कार्यों के साथ खुद को जोड़कर राजनीति करना है। झारखंड में सीआरपीएफ की तैनाती पर, यहां तक कि भाजपा के शीर्ष नेताओं को  लाभ उठाने की कोशिश करते देखा गया।

-बाबूलाल मरांडी का ट्विट में तुष्टिकरण का अर्थ साफ़ झलकत है 

इसके प्रतिउत्तर में झारखण्ड के मुख्यमंत्री ने facebook हैंडल से खंडन करते हुए लिखा कि उनके अनुरोध पर झारखण्ड में सीआरपीएफ बल की तैनाती हुई है।

-मुख्यमंत्री का जवाब 

भाजपा द्वारा तुष्टिकरण शब्द प्रयोग किये जाने का अन्य कारण

हाल ही में, झारखंड सरकार ने 24 अप्रैल तक अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किया। जवाब में, जब झारखंड भाजपा को कोई ठोस मुद्दा नहीं मिला, तो उसने दैनिक भास्कर के साथ मिलकर सरकार को बदनाम करने की कोशिश की। जब तथ्य वायरल हुआ, तो उसके पास अपना मुंह देखने का कोई तरीका नहीं था। ऐसे में सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाना सही लगा होगा।    

मसलन, इस संदर्भ में, भाजपा में मौजूद सभी झारखंड माटी के नेताओं को यह महसूस करना होगा कि इस कठिन परिस्थिति में, उन्हें पार्टी के एजेंडे की तुलना में झारखंड की चेतना को अधिक महत्व देना चाहिए। झारखंड में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। ऐसे समय में एकजुटता राजनीति के बजाय झारखंड को बचा सकती है। 

अगर बीजेपी के झारखंडी नेता ऐसा नहीं करते और अपना बिन बजाते रहते हैं। तो यह उसकी ऐतिहासिक भूल होगी और यहां के लोग उसे कभी माफ नहीं करेंगे। और जनता उनकी तुष्टिकरण मानसिकता पर एक स्थायी मुहर लगाएगी। इसलिए, भाजपा को विपक्ष की भूमिका में तुष्टीकरण की राजनीति छोड़नी चाहिए और झारखंड के लोगों के लिए सकारात्मक सोच प्रदर्शित करनी चाहिए। ताकि झारखंड की राजनीति से तुष्टिकरण का दाग हमेशा के लिए हटाया जा सके।

tushtikaran shabad

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