जनजातीय महोत्सव 2022 : देश को जनजातीय परंपरा से घुलने-मिलने का मौका देगा

मुख्यमंत्री : “झारखण्ड जनजातीय महोत्सव” का भव्य आयोजन राज्य के लिए गौरव की बात है। जनजातीय समुदाय के कई अनछुए ऐतिहासिक पन्ने तक प्रकाश पहुंचेगा। जनजातीय समाज के आवाज को देश के पटल पर मंच मिलेगा। 

रांची : झारखण्ड गठन के बाद राज्य में पहला मौका है जब 9-10 अगस्त 2022 को “झारखण्ड जनजातीय महोत्सव” मनाया जाएगा. यह कार्यक्रम जहां जनजातीय समुदाय के समृद्ध एतहासिक, सामाजिक व पारंपरिक जीवन शैली पर प्रकाश डालेगा तो वहीं गैर जनजातीय वर्ग को इन समुदायों से घुलने-मिलने व समझने का मौका प्रदान करेगा. झारखण्ड जनजातीय बहुल राज्य है ऐसे में यह महोत्सव राज्य वासियों के लिए गौरव की बात है. ज्ञात हो, इस कार्यक्रम में झारखण्ड समेत देश भर के राज्यों से जनजातीय समुदाय व लोग भाग लेंगे. 

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा महोत्सव के प्रतीक चिन्ह का अनावरण

झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने महोत्सव के प्रतीक चिन्ह अनावरण के दौरान कहा कि हमारी सरकार जनजातीय बाहुल्य राज्य, झारखण्ड के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है. इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रमों को हमारी सरकार और मजबूती प्रदान करती रहेगी. ज्ञात हो, झारखण्ड के जनजातीय समुदाय ने देश समेत विश्व में अपनी अलग इतिहास व पहचान बनायी है. मसलन, इस समुदाय की सभ्यता-संस्कृति को निर्णायक मंच देने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है. और “झारखण्ड जनजातीय महोत्सव-2022” का आयोजन इस उदेश्य में मील का पत्थर साबित होगा. 

राज्य के कोने-कोने में बसे जनजातीय समाज के लोग सदियों से अपनी समाज, संस्कृति एवं सभ्यता के संरक्षण के लिए संघर्ष किया है. झारखण्ड की धरती ऐसे वीरों से भरी पड़ी है. धरती आबा बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हु, वीर बुधु भगत, तिलका मांझी, चांद भैरव, तेलंगा खड़िया, शेख भिखारी जैसे कई वीर महापुरुषों ने, नायकों ने राज्य एवं देश को अपना सर्वस्व दिया है. जनजातीय समुदाय के कई ऐसे ऐतिहासिक पन्ने अभी अनछुए हैं जिस पर प्रकाश डाले जाने पर यह समुदाय गौरव के साथ जानें-पहचानें जा सकेंगे. और मजबूती से अपनी विकास गाथा लिखेंगे.

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