झारखण्ड: आदिवासी सीएम ने मॉबलिंचिंग का हल नियुक्तियों से निकाल

बेरोजगारी : मौजूदा केन्द्रीय सामन्ती राजनीति में देश के बेरोजगार युवा भीडतंत्र में तब्दील हो गया है. जो समाज के लिए समस्या बन बैठा है. लेकिन सीएम हेमन्त ने नियुक्ति में इसका हल ढूंढ लिया है. 

रांची : कहते हैं – जहां चाह है वहां राह है. नेक नियत से किया हुआ प्रयास कभी विफल नहीं होता. इन कहावतों को झारखण्ड जैसे प्रदेश में एक आदिवासी सीएम ‘हेमन्त सोरेन’ ने समाज में फिर से प्रासंगिक कर दिखाया है. ज्ञात हो सीएम हेमन्त राज्य के मूल युवाओं की बेरोजगारी से सम्बंधित समस्याओं के निराकरण में शुरुआती कार्यकाल से प्रयासरत रहें हैं. लेकिन, केन्द्रीय शक्तियों के प्रभाव में राज्य के विपक्ष द्वारा विभिन्न माध्यमों से उनके प्रयासों को विफल करने का प्रयास हुआ है.

झारखण्ड: आदिवासी सीएम ने भीडतंत्र का उपाय नियुक्ति में ढूंढा

ज्ञात हो सामन्ती राजनीति द्वारा देश की भांति झारखण्ड के बेरोजगार युवाओं माल पहना कर भीडतंत्र में तब्दील किया गया. और पूर्व की सरकार की ऐसी सामाजिक विरोधी नीतियों के अक्स में राज्य में यह समस्या गहराती चली गई. लेकिन, मौजूदा सीएम, हेमन्त सोरेन अपने जुझारूपन से प्रदेश की इस विकट समस्या का हल नियुक्ति जैसे प्रभावी उपाय में ढूंढ निकाल है. सभी क्षत्रों में नियुक्तियां हो रही है. इस कड़ी में सीएम के द्वारा 18 अगस्त 2023 को 10,020 युवाओं को नियुक्तिपत्र सौंपा गया.

युवाओं को रोज़गार मिलने से न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारती है, समाज का आर्थिक ताना-बाना भी मजबूत होता है. एक स्वस्थ सोसाइटी की रचना होती है. राज्य व देश में विकास की रफ्तार बढ़ती है. समाज में शिक्षा की भागीदारी मजबूत होती है. युवाओं की समाज सेवा  में रुझान बढ़ता है, जिससे समाज अपराध के बजाय साहित्य, कला, इतिहास और संस्कृति के प्रति अधिक उत्साहित होता है. नतीजतन मानव जाति को रहने लायक शांति-समृद्धि व लचीला समाज मिलता है.

सहायक पुलिस कर्मियों को दो वर्ष का अवधि विस्तार

चाईबासा में आयोजित प्रमंडलीय रोजगार मेले में ऑफर लेटर वितरण समारोह में, राज्य के 10,020 युवाओं को नियुक्तिपत्र सौंपने के बाद राज्य के सहायक पुलिस कर्मियों को दो वर्ष का अवधि विस्तार घोषणा हो, युवाओं को प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए मेडिकल, इंजीनियरिंग और लॉ जैसे कोर्सेज में सरकारी मदद का सच हो, तो न केवल सीएम हेमन्त सोरेन का राज्य के युवाओं के प्रति समर्पण का ईमानदार आंकलन होना चाहिए, पूर्व के सत्ताओं की नीतियों का समीक्षा भी होनी ही चाहिए.

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