झारखण्ड : बीजेपी-आरएसएस के वनवासी बाबूलाल जी को SC-ST के त्रासदीय सवाल क्यों लगते हैं विक्टिम कार्ड? उन्हें क्यों नहीं लगता कि वह इन वर्गों के अस्तिव सघर्ष के आड़े खड़े हैं ?
रांची : सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका मामले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गयी कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां इडी के कार्य प्रणाली की तस्वीर पेश करती है. भ्रष्टाचार साबित करने के लिए रिश्वतखोरी या रिश्वतखोरी का कोई तत्व होना जरूरी है. सरकारी गवाहों पर भरोसा करने से पहले जांच एजेंसियों को सावधानी बरतनी चाहिए. जमानत एक मौलिक अधिकार है और यह तभी खारिज हो सकता है जब आरोपी के खिलाफ मजबूत सबूत हों.
कोर्ट की यह टिप्पणी भ्रष्टाचार के कानूनी स्वरूप को स्पष्ट करती है. कोर्ट की टिप्पणी सरकारी गवाहों के विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है. जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को बिना किसी ठोस सबूत के जेल में नहीं रखा जा सकता है. आप नेता सिसोदिया मामले में कोर्ट की टिप्पणियां भविष्य के भ्रष्टाचार के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा दिखती हैं. ये टिप्पणियां जांच एजेंसियों की भ्रष्टाचार के मामलों की जांच को लेकर स्पष्ट तौर पर प्रश्न खड़े करते दिखते हैं.
वनवासी बाबूलाल बीजेपी के प्यादे के रूप में एससी-एसटी के संघर्ष के बीच खड़े
झारखण्ड प्रदेश में विधायक के 4 अक्टूबर 2023 को भी ट्वीट कर बताया गया है कि ‘विशाल चौधरी – राजीव अरुण एक्का गठजोड़ का इडी द्वारा किया गया खुलासा आँखें खोलने वाला है. इस बारे में एफआईआर करने के लिए इडी ने सरकार को जो पत्र भेजा है उसमें घोटाला और रिश्वत का पुख़्ता प्रमाण है. इसकी जड़ भी 2016 तक जाती है जब पूर्व बीजेपी की सरकार और विशाल का स्किल डेवलपमेंट सौदा हुआ. तमाम मामलों के मद्देनजर उनके द्वारा भी कोर्ट जाने की बात कही गयी है.
जिससे आदिवासी सीएम हेमन्त सोरेन के इडी मामलों में प्रतीत होता है कि जांच एजेंसी केवल सीएम को घेरने के प्रयास करती दिखती है. जैसे ही जांच पूर्व के बीजेपी सरकार के दहलीज तक पहुँचती है थम जाती है. फिर नए सिरे से न केवल आरोप मढ़े जाते हैं बीजेपी इसके आसरे राजनिति भी करती दिखती है. ऐसे में आदिवासी सीएम का न्यायिक लड़ाई का रास्ता तर्कसांगत प्रतीत होता है. और वनवासी बाबूलाल बीजेपी प्यादे के रूप में एससी-एसटी के संघर्ष के बीच खड़े दिखते हैं.
बाबूलाल जी को आकाओं से पूछ कर एससी-एसटी को बताएं कि कैसे उनका सच विक्टिम कार्ड है?
देश में एससी-एसटी दमन उत्पीड़न पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ने के सच हो. एससी-एसटी के उत्पीड़न में 23% की बढ़ोत्तरी का सच हो. एससी-एसटी बेटियों से होने वाले अपराधों का ग्राफ 33% बढ़ चला हो. और मामलों में सजा केवल 6% को मिलने का सच हो. बहुजन जजों की नियुक्ति, तबादला व हत्या का सच हो. शैक्षणिक संस्थानों में इन वर्गों के प्रोफ़ेसरों के साथ अपमान होने का सच सामने हो. तो बाबूलाल जी को आकाओं से पूछ कर इन वर्गों को बताएं कि यह विक्टिम कार्ड कैसे है?