THE INDIAN EXPRESS और OMIDYAR के मंच से झलकी हेमंत सोरेन की बैचारिक मंशा

THE INDIAN EXPRESS और OMIDYAR के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित वेबिनार विषय – Decoding India’s internal migration के मंच पर झलका मुख्यमंत्री का व्यक्तित्व

रांची। झारखंड देश का ऐसा राज्य है, जो खनिज सम्पदा के मामले में जितना अमीर है, जनता उतनी ही गरीब है। जिसकी सम्पदा पर केंद्र की नजर है। यह धरती मानवता के पक्ष में आन्दोलनों की विरासत लिए भी खड़ा है। जिसका अस्तित्व का सच भी आन्दोलन ही है। जहाँ भाजपा सत्ता का एक ऐसा भी सच है जिसमे सामान्य काल में भूख के कारण कई काल के मुँह में समा गए। वहां झारखंडी मानसिकता, हेमंत सत्ता जनता के पक्ष में निर्णय ले, आश्चर्य नहीं, खलबली ज़रूर मच सकती। 

लॉकडाउन त्रासदी में जिस सत्ता का सच मानवता के पक्ष में दिखे। जिसके साहस “स्पेशल ट्रेन व प्लेन” चलाये, प्लेन उडाये, मजदूरों की वापसी कराये। लौटे प्रवासी मजदूरों के पेट के लिए भी उपाय करे। जिसकी योजनायें अंतिम पायदान पर खड़े गरीब के सच को समझे। और इस सत्ता में यह सच भी उभरे कि कोरोना त्रासदी में भूख से एक भी मौतें नहीं हुई। तमाम परिस्थितियां उस मुख्यमंत्री की ठोस वैचारिक मानसिकता का आईना हो सकता है। जिसपर जनता अपनी विश्वास का नीव रखे तो आश्चर्य क्यों? 

और जब उस सत्ता का मुखिया The Indian Express और Omidyar के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित वेबिनार, विषय –  “Decoding India’s internal migration” के मंच उसके शासन में कोई भी झारखंडी परेशान नहीं रहेगा। तो मानवता के पक्ष लेती उस वैचारिक मंशा को उनका व्यक्तित्व का अंग माना जा सकता है। और जनता के विश्वास के मजबूतीकरण के दिशा में खाद-पानी भी माना जा सकता है।  

क्या है The Indian Express और Omidyar Network 

इसमें The Indian Express एक ख्याति प्राप्त मीडिया संस्थान है। वहीं Omidyar Network India Network एक सामाजिक परिवर्तन उद्यम है जो महत्वपूर्ण प्रणालियों, और विचारों को नियंत्रित करता है, जो कि अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाजों का निर्माण करता है।

सीमा पर कार्यरत झारखंडी मजदूरों के लिए किये गये विशेष उपाय 

इस मंच से मुख्यमंत्री ने मजदूरों की हो रही अनदेखी की बात कही। उन्होंने बताया कि झारखंड खनिज प्रधान राज्य है। लेकिन खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के लिए पलायन समस्या आखिरी सच है। और बाहर राज्य में प्रवासी मजदूरों को मेहनताना की जगह धोखा मिलता है। सीमावर्ती इलाकों में सड़क निर्माण से जुड़े मजदूरों का सच तो और भी त्रासदी दायक है। नतीजतन, राज्य सरकार का बीआरओ के साथ समझौता हुआ। और समझौते के नियमों  के तहत ही राज्य के मजदूरों को देश के सीमावर्ती क्षेत्र में सड़क निर्माण हेतु भेजा गया। जिसका सच उचित पारिश्रमिक व अन्य मूल भूत सुविधाएँ उपलब्ध मुहैया करान है।

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